प्रेमचंद को पुन: पढ़ते हुए विषय पर दो दिवसीय सेमिनार, वेबीनार आयोजित
सामाजिक जीवन के प्रति समाधान है प्रेमचंद का कथा साहित्य
*सेवासदन से गोदान की यात्रा में दिखी बूढ़ी काकी की संवेदना*
अंबिकापुर। श्री साई बाबा आदर्श स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शब्द साधकों ने कला एवं समाज कार्य विभाग तथा आईक्यूएसी के तत्वावधान में मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनाई गई। प्रेमचंद को पुन: पढ़ते हुए विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार, वेबीनार का शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती, श्री साईं नाथ और कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के तस्वीर पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलन कर किया। शासी निकाय के अध्यक्ष विजय कुमार इंगोले ने साहित्य व समाज के बीच एक समागम प्रस्तुत किया। उन्होंने पठनीयता के प्रति सभी को प्रेरित किया। अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राचार्य डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद के साहित्य 100 वर्ष पूरे कर रहे हैं। उनकी कहानियां, उपन्यास, नाटक आज भी समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्रीय सेमिनार/वेबीनार में विद्वानों का नजरिया अध्येताओं, प्राध्यापकों के लिए प्रेरक होगा।
विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ. अजय कुमार तिवारी ने मुंशी प्रेमचंद की कहानियां को काल विभाजन के रूप में प्रस्तुत किया। प्रेमचंद की कहानियां कथा शिल्प, आदर्श, आदर्शोन्मुखी यथार्थ व यथार्थ के रूप में समाज के सामने आती है। इस दौरान बूढ़ी काकी, ईदगाह, मंत्र, जुलूस, संग्राम के साथ दूसरी कहानियां के पात्रों पर चर्चा हुई। मुख्य वक्ता डॉ. नीलाभ ने प्रेमचंद की कहानियोंं के द्वंद्व प्रस्तुत किया। उन्होंने त्रिया चरित्र, पिया बसंती के परिवेश में प्रेमचंद की कहानियां को प्रस्तुत किया। डॉ. नीलाभ ने कहा कि पात्र और परिवेश बदलते हैं। उनके विषय समय के साथ नया रूप ले लेते हैं। कहानियां एक परिवेश विषय के लिए प्रासंगिक होती हैं। प्रेमचंद की प्रासंगिकता पर सवाल करने से बेहतर है उन्हें हम प्रेरणास्रोत के रूप में स्वीकार करें। उन्होंने नई पीढ़ी से आह्वान किया कि बाजार साहित्य पर प्रभावी होने की कोशिश कर रहा है, इससे सावधान रहना है। आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. आरएन शर्मा ने बूढ़ी काकी, ईदगाह, पंच परमेश्वर के परिदृश्य से सभी को सचेत किया। उन्होंने फिल्म दुश्मन की पात्रता व सजा देने की स्थितियों से अवगत कराया। द्वितीय सत्र को संबोधित करते हुए काशी हिन्दु विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. राधेश्याम दुबे ने संत साहित्य और नाथ साहित्य की परंपरा से अवगत कराया। उन्होंने सत्-असत्, माया-अविद्या, अध्यास की स्थितियों के बारे में बताया। कबीर, नानक, रैदास, रज्ज्ब, बोधा के परिवेश से अवगत कराया। शासकीय लाहिड़ी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रामकिंकर पांडेय ने सेवासदन से गोदान की यात्रा को प्रस्तुत किया। उन्होंंने निर्मला के बेमेल विवाह की त्रासदी से अवगत कराया। सामाजिक मानवीय संवेदनाओं को फलक पर लाया। भारत गांवों को देश है, जिसमें मजदूर, किसान, शहर-गांव एक साथ हैं। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक देवेन्द्र दास सोनवानी तथा तकनीकी सहयोग दीपक तिवारी ने किया। कार्यक्रम के दौरान डॉ. अलका पांडेय, डॉ. विवेक गुप्ता, डॉ. दिनेश शाक्य, शैलेष देवांगन, अरविन्द तिवारी व सभी विद्यार्थी उपस्थिति रहे। सेमिनार के दूसरे दिन मंगलवार को शासकीय महाविद्यालय शंकरगढ़ के सहायक प्राध्यापक पुनीत राय, बलदेव डिग्री कॉलेज बड़ागांव के विभागाध्यक्ष उदय प्रकाश, गिरिडीह महाविद्यालय झारखंड से डॉ. बलभद्र विषय विशेषज्ञ के रूप में मुख्य वक्ता होंगे।