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इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में आयोजित किया गया सोलो डांस प्रतियोगिता

विद्यालय विद्यार्थियों को प्रतिभावान बनाने मंच देता है जिस पर विद्यार्थी अपना हुनर दिखा जहाँ पुरस्कार प्राप्त कर प्रोत्साहना पाते हैं --डॉ. संजय गुप्ता

कोरबा ll मानवीय अभिव्यक्तियों का रसमय प्रदर्शन है नृत्य। यह एक सार्वभौम कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ। बालक जन्म लेते ही अपनें हाथ पैर मार कर अपनी अभिव्यक्ति करता हैं कि वह भूखा है इन्ही आंगिक कियाओं से नृत्य की उत्पत्ति हुई है। भारतीय संस्कृति एवं धर्म आरंभ से ही मुख्यतः- नृत्यकला से जुडे़ रहे।़ यह मनोरंजन तो है ही साथ ही यह हमारे सारे थकान व अवसादो को दूर करता है। नृत्य की इन विशेष महत्वों को देखते हुए ही आज विद्यालय स्वर पर भी बच्चों को नृत्य की शिक्षा दी जाती है। परंतु केवल शिक्षा देना ही काफी नहीं होता गुरू द्वारा दी गई शिक्षा को छात्र ने कितना ग्रहण किया इसे जांचने हेतु समय-समय पर उसका आंकलन करना भी आवश्यक होता है।

भारतीय धर्मों में नृत्य का महत्व पौराणिक काल से रहा है। डांस (नृत्य) को प्रमुख रूप से शास्त्रीय नृत्य और लोक नृत्य में विभाजित किया जा सकता है। लेकिन आजकल यह केवल मनोरंजन का साधन बनकर रह गया है। वर्तमान में डांस के प्रति बढ़ते क्रेज ने इसे पैसा कमाने का जरिया बना दिया है। कई टीवी चैनलों और फिल्म इंडस्ट्री ने इसको काफी बढ़ावा दिया, इस वजह से हर कोई बड़े-बड़े कोरियोग्राफर से डांस सीखकर फिल्म इंडस्ट्री में अपने पैर जमाने चाहते हैं। किसी भी धार्मिक या

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत नृत्य से ही की जाती है। आज इसका महत्व इतना बढ़ गया है कि इसका आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर किया जाता है। इसमें सबसे ज्यादा ध्यान रखने योग्य बात यह है कि आप डांस के प्रति जितना ज्यादा समर्पित होंगे, जीवन में उतनी ही ऊंचाइयां प्राप्त कर सकते हैं। डांस की दुनिया में कदम रखने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। आपका इस कला के प्रति पूर्णतया आत्मविश्वास, लगन और समर्पण होना बहुत जरूरी है। आपको अपने गुरु का सम्मान करना आना चाहिए। गुरु जैसे-जैसे डांस स्टेप्स बताते है उसकी हूबहू नकल करने की क्षमता का होना बहुत जरूरी है। साथ ही इशारों का अर्थ भी समझने की क्षमता और तत्परता का होना जरूरी होता है। नृत्य का हमारे जीवन में विशेष महत्व होता है । इंसान कितना ही तनाव ग्रस्त हो, कितना ही परेशान हो पर नृत्य को देखकर गानों की धुन पर अनायास ही उसके पैर थिरकने लगते हैं, और सारे अवसाधों को भुलाकर वह नृत्य की भाव भंगिमा में मदहोश हो जाता है । नृत्य की अनेक विधाओं में नित प्रतियोगिताएँ होती रहती है ।

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में कक्षा पहली से पांचवीं के बालक बालिकाओं के लिए एकल नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था ।इस एकल नृत्य प्रतियोगिताकी थीम अलग अलग कक्षा वर्ग के लिए अलग अलग थी। कक्षा 3री के लिए रेट्रो थीम था जबकि 4थी एवं 5 वीं के लिए फोक डांस था।कड़े मुकाबले में *कक्षा 3 री* से निखिल साहू ने प्रथम स्थान,आलिया गौतम ने द्वितीय तथा आरना मिश्रा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया साथ ही शौर्य विश्वकर्मा को सांत्वना स्थान प्राप्त किया। *कक्षा चौथी* से आराध्या मेहता प्रथम, प्रिंस द्वितीय, अभ्युदय ने तृतीय तथा तेजस्वी ने सांत्वना स्थान प्राप्त किया। इसी क्रम में *कक्षा पांचवी* से *साएसा सारा नरवाल ने प्रथम स्थान,* प्राप्त किया । *पलक श्रीवास ने द्वितीय* स्थान, *तेजल ने तृतीय* स्थान तथा *ख्याति ने सांत्वना* स्थान प्राप्त किया। सभी विद्यार्थियों रोचक नृत्य की प्रस्तुति दी।विजेताओं कों प्राचार्य ने बधाई दी ।सभी विजेताओं को आगामी दिनों में सीसीए प्राइज डिस्ट्रीब्यूशन सेरेमनी में सम्मानित किया जाएगा।

संपूर्ण कार्यक्रम में सीसीए प्रभारी कुमारी ज्योति कैवर्त के अलावा सभी प्राइमरी स्टाफ का भरपूर सहयोग रहा।कार्यक्रम का संचालन कुमारी रितिका शुक्ला ने किया।कार्यक्रम एकेडमिक कोऑर्डिनेटर श्रीमती सोमा सरकार के दिशा निर्देश में सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।

इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि पाठय क्रियाओ के साथ पाठयेतर क्रियाओं का भी बाल्यकाल मे विशेष महत्व होता है। बच्चों को मंच दियें जाने से वे अपनी कलाओं और अपनी भावनाओं को समूह के सामने व्यक्त करने का गुण सीखते हैं। नृत्य विधा के बारे में डॉ. गुप्ता ने कहा कि नृत्य मनोरंजन के साथ हमें मानसिक तनाव से भी मुक्त करता हैं।

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