कथा एजुकेशनल एक्टिविटी, मंदिर नहीं विद्या मंदिर बनाने में रूचि-रमेश भाई ओझा
छत्तीसगढ़ में शिक्षा का मंदिर खोलने की रहेगी पूरी कोशिश, राजनीति में धर्म होना चाहिए, धर्म में राजनीति नहीं
अंबिकापुर। श्रीमद् भागवत कथा में अंबिकापुर पहुंचे विश्वविख्यात कथा वाचक रमेश भाई ओझा ने बुधवार को रामनिवास कॉलोनी, मनेंद्रगढ़ रोड अंबिकापुर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि वे प्रारंभ से ही आदिवासी बच्चे-बच्चियों को अच्छा शिक्षा मिले इसके लिए विद्या मंदिर गुजरात व अन्य राज्यों में बनवाए हैं। अभी भी आदिवासी बच्चे-बच्चियों के लिए काम जारी है। छत्तीसगढ़ में आदिवासी बच्चे-बच्चियों के लिए स्कूल खोलने के प्रश्न पर श्री ओझा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भी विद्या का मंदिर खोलने की उनकी मंशा है, वे पूरी कोशिश करेंगे यहां भी स्कूल खुले और यहां के आदिवासी बच्चों को उसका लाभ मिले। कथा को एजुकेशनल एक्टिविटी की उपमा देते हुए उन्होंने कहा कि उनकी मंदिर नहीं विद्या मंदिर बनाने में रूचि है। भावपूर्ण, विचार वान समाज तैयार होगा तो इससे समाज व राष्ट्र को लाभ मिलेगा। मानव अर्जित समस्या का निराकरण होगा।
कथा वाचक रमेश भाई ओझा ने आगे कहा सरगुजा वनांचल क्षेत्र में रहने वाले लोगों की जो जीवन शैली है, उसे प्रत्यक्ष रूप से देखने पर विशेष आनंद का अनुभव रहा। कोशिश रहेगी कि हर वर्ष इस क्षेत्र में एक कथा हो। कथा गंगा की तरह है, जो अनवरत बहती हुई हृदय तक पहुंचती है। श्री ओझा ने कहा कि जहां भाव का बाहुल्य है उनको विचार दिया जाए और शहरी क्षेत्र में जहां विचार का प्रभाव है वहां कभी-कभी भाव की दृष्टि से सूखापन देखने को मिलता है। जो विचारवान लोग हैं उन्हें भाव दिया जाए और भावनापूर्ण जीवन जीने वालों को विचार प्रदान किया जाए। भाव व विचार दोनों में संतुलन स्वस्थ जीवन के लिए अनिवार्य है। विचारवान लोगों का समाज तैयार होगा, इससे राष्ट्र सहित सबको फायदा मिलेगा। उन्होंने आगे कहा मानव जैसे बुद्धिमान प्राणी को नियंत्रित करना आवश्यक है। धर्म कहता है कर्मों का फल भुगतना पड़ेगा, हमें हिंसा नहीं करना चाहिए, बेईमानी से दूर रहना चाहिए। जीवन में पुण्य एवं भलाई का कार्य करें इससे समाज व सरकार दोनों को लाभ होगा। जो लोग धर्म को नहीं मानते समाज के रीति-रिवाज को फॉलो करते हैं, कुछ लोग रीति-रिवाज को भी नहीं मानते तो उनको चलाने सरकार के पास डंडा है। श्री ओझा ने कहा कि धर्म, समाज, सरकार तीनों मिलकर व्यक्ति को अच्छा इंसान बनाते हैं। धर्म कोई गेंद नहीं कि राजनीतिक पार्टियां खेलें, राजनीति में धर्म होना चाहिए, धर्म में राजनीति नहीं। जनता व राष्ट्र के प्रति समर्पित कार्य राजनीतिक पार्टियों को करना चाहिए। पक्षीय स्वार्थ में लगे रहेंगे तो समाज व राष्ट्र का नाश होगा। अखंड भारत को लेकर उन्होंने कहा मेरी व्यक्तिगत सलाह है इस पर जल्दबाजी न करें अन्यथा गंभीर दूरगामी परिणाम भी हो सकते हैं। हालांकि दिल्ली में समझदार लोग बैठे हैं उचित निर्णय ही लेंगे। श्री ओझा ने एक देश-एक कानून एवं एक देश-एक चुनाव का समर्थन करते हुए कहा कि यह अच्छे समाज के लिए जरूरी है। लोग साल भर चुनाव कराने में लगे रहते हैं, चुनाव प्रजातंत्र व्यवस्था में उत्सव की तरह लगना चाहिए, यह राज्य व राष्ट्र के लिए अच्छा होगा। बार-बार चुनावी प्रक्रिया के चलने से आचार संहिता के चलते लाचार संहिता की स्थिति बनती है।
बच्चों में पढ़ाई का अधिक दबाव अनुचित
शिक्षा नीति को लेकर किए गए एक सवाल के जवाब में कथावाचक रमेश भाई ओझा ने कहा कि आज बच्चों के ऊपर पढ़ाई का बहुत दबाव है। हमें इसे लेकर गंभीर होना चाहिए। परीक्षा के समय बच्चे सुसाइड कर लेते हैं। बच्चों को सुबह जल्दी उठाओ, स्कूल भेजो, पढ़ाओ, फटकार लगाने से बच्चों पर बहुत दबाव बन रहा है। श्री ओझा ने कहा भगवान श्री कृष्णा 11 साल की उम्र तक स्कूल नहीं गए लेकिन वह जगतगुरु बन गए। बच्चों के ऊपर पढ़ाई बोझ बन जाएगा तो वह पढ़ेंगे नहीं। बच्चों का शैशव छीना न जाए, ऐसा शिक्षा में बदलाव आए।
राजनैतिक या अन्य स्वार्थ पूर्ति के लिए विवाद
कथावाचक रमेश भाई ओझा ने कहा सनातन धर्म में डिबेट होती है, इससे तत्व का बोध होता है। सत्य तक पहुंचने के लिए वाद-विवाद होता है। आजकल राजनैतिक या अन्य स्वार्थ पूर्ति के लिए वाद-विवाद जगाया जाता है। विवाद करने वाला धर्म के साथ अन्याय करता है।