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कुसमुंडा में कोयले की आर्थिक नाकेबंदी शुरू :अधिग्रहित जमीन की वापसी,रोजगार व पुनर्वास ग्रामों की समस्या के निराकरण की मांग

कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के सामने से किसान सभा के नेतृत्व में 54 गांव के हजारों भू विस्थापितों ने रैली निकालकर किया कोयला परिवहन बंद

कोरबा। रोजगार और पुनर्वास से जुड़ी मांगों पर छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में कोरबा जिले में भू-विस्थापितों के बीच सक्रिय दसियों संगठन लामबंद हो गए हैं और उन्होंने आज रेल और सड़क मार्ग से होने वाली कोयला ढुलाई को रोककर आर्थिक नाकाबंदी की है।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में भूविस्थापितों के लंबित रोजगार प्रकरणों,जमीन वापसी,पट्टा,बसावट एवं प्रभावित गांव की समस्याओं को लेकर 54 गांव के भू विस्थापितों ने हजारों की संख्या में कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के सामने एकत्रित होकर रैली निकाली और पहले कुसमुंडा थाना के पास कोल परिवहन की गाड़ियों को रोका उसके बाद खदान से निकलने वाले सभी तीनों मार्ग को बंद कर दिया कोयले की एक भी गाड़ी को अंदर या बाहर आने जाने नहीं दिया जा रहा है। रेल और साइलो बंद करने की तैयारी शुरू की भू विस्थापितों ने। आंदोलन में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल है।

आर्थिक नाकेबंदी को सफल बनाने के लिए गांव गांव में चावल दाल संग्रहण, मशाल जुलूस और अधिकार यात्रा का जत्था निकलकर नुक्कड़ सभा पर्चे वितरण के परिणाम स्वरूप हजारों भू विस्थापित सड़कों पर आंदोलन के लिए उतरे। आंदोलन को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी समर्थन किया है।

आर्थिक नाकेबंदी को संबोधित करते हुए माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि एसईसीएल के कुसमुंडा,गेवरा,दीपका,कोरबा सभी क्षेत्रों के भू विस्थापितों के लंबित रोजगार,जमीन वापसी,पट्टा,बसावट एवं प्रभावित गांव की मूलभुत समस्याओं के निराकार के लिए एसईसीएल के अधिकारियों द्वारा कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है जिससे भू विस्थापितों के सब्र का बांध टूट चुका है। एसईसीएल के अधिकारियों का ध्यान केवल भू विस्थापितों के अधिकारों को छीन कर आपस में लड़वाकर केवल कोयला उत्पादन को बढ़ाने और उच्च अधिकारियों को खुश करने की है जिसमें जिला प्रशासन भी एसईसीएल के साथ खड़ी है प्रबंधन और प्रशासन पहले एकजुट था अब सभी भू विस्थापित संगठन अपने अधिकार को लेने के लिए एकजुट हो रहे है अब भू विस्थापित किसानों की एकजुटता के सामने कोई प्रबंधन टिकने वाली नहीं है।

किसान सभा के नेता जवाहर सिंह कंवर,दीपक साहू,भू विस्थापित संघ के नेता रेशम यादव,दामोदर,रघु,संतोष राठौर, दिलहरण दास, कोमल खर्रे, देव कुमार पटेल, सुमेंद्र सिंह ठकराल,जय कौशिक,के साथ बढ़ी संख्या में भू विस्थापितों ने संबोधित किया और सभी ने एकजुट होकर एसईसीएल के खिलाफ संघर्ष करने का ऐलान करते हुए कहा कि एसईसीएल पर भू विस्थापितों को भरोसा नहीं है एसईसीएल को कार्य धरातल पर करते हुए कार्यों का रिजल्ट दिखाना होगा हर बार आंदोलन के बाद झूठा आश्वाशन प्रबंधन देता है जब तक निर्णायक निर्णय भू विस्थापितों के पक्ष में नहीं होगा तब तक कोयला परिवहन बंद रहेगा।

 

किसान सभा और भू विस्थापित संगठनों की *मांग* है की वन टाइम सेटलमेंट कर रोजगार के पुराने लंबित मामलो का जल्द से जल्द निराकरण किया जाये और अर्जन के बाद जन्म वाले प्रकरण का निराकरण कर जिनकी भी जमीन अधिग्रहण की गई है उन्हे बिना शर्त रोजगार प्रदान किया जाए|

*पुराने अर्जित भूमि को मूल खातेदारों को वापसी करायी जाये | कोरबा, कुसमुंडा एवं अन्य क्षेत्र में अर्जित जमीन मूल खातेदारों को वापस किया जाए और जरूरत होने पर पुन: अर्जन की प्रक्रिया पूरा कर पुनर्वास नीति के अनुसार भू विस्थापितों को लाभ दिलाया जाए।

* अर्जित गाँव से विस्थापन से पूर्व उनके पुनर्वास स्थल की सर्वसुविधायुक्त व्यवस्था किया जाये |

*आउट सोर्सिंग कार्यों में भू विस्थापितों एवं प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराया जाए

*महिलाओं को स्व रोजगार योजना के तहत रोजगार उपलब्ध कराया जाए

*पुनर्वास गांव में काबिज भू विस्थापितों को पूर्ण काबिज भूमि का पट्टा दिया जाए

* विजयनगर, नेहरु नगर,गंगानगर, समेत सभी पुनर्वास गांव को पूर्ण विकसित माडल गांव बनाने समेत 11 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा है।

एसईसीएल के आश्वाशन से थके भू विस्थापितों ने अब आर पार लड़ाई लड़ने के लिए किसान सभा के नेतृत्व में सड़कों पर उतर कर विरोध शुरू कर दिया है। किसान सभा ने एलान करते हुए कहा है कि भू विस्थापितों के समस्याओं पर सकारात्मक पहल कदमी नहीं होने पर जिले से बाहर जाने वाले कोल परिवहन को अनिश्चित कालीन बंद रखा जाएगा।

 

 

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