छत्तीसगढ़ द्विज परिवार बालको ने श्री राम मंदिर बालको में बड़े ही धूम धाम के साथ मनाया शरद पूर्णिमा
कोरबा ll छत्तीसगढ़ द्विज परिवार बालको ने श्री राम मंदिर बालको में बड़े ही धूम धाम के साथ मनाया शरद पूर्णिमा समारोह के संबंध में द्विज परिवार के वरिष्ठ सदस्य दुष्यंत शर्मा ने बताया कि सनातन धर्म की परंपरा अनुसार माता लक्ष्मी और चंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए शरद पूर्णिमा का दिन बेहद खास माना गया है। माना जाता है कि इस शुभ दिन चंद्र देव अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं, जबकि धन की देवी माता लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करने के लिए आती हैं। इसी वजह से लोग शरद पूर्णिमा का व्रत रखते हैं एवं पूजन करते हैं।
शरद पूर्णिमा व्रत के दौरान माता लक्ष्मी की पूजा करना शुभ होता है। इसी के साथ खीर बनाकर उसे रातभर चांद की रोशनी में रखा जाता है, जिसे अगले दिन प्रसाद के रूप में खाया जाता है। मान्यता है कि चांद की रोशनी में रखी खीर को खाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और गंभीर बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है।
समारोह देर रात तक भजन कीर्तन के साथ चलता रहा। जिसने पूरे समाज को सांस्कृतिक जोश और ऊर्जा से सराबोर कर दिया।
आयोजित यह उत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि एक ऐसा सांस्कृतिक उत्सव भी साबित हुआ, जिसने समाज के सभी लोगों को एक साथ जोड़े रखा।
आयोजन में उत्साह, और उल्लास की ऐसी छटा बिखरी कि समाज के लोगों की स्मृतियों में यह आयोजन लंबे समय तक ताज़ा रहेगा। समारोह की शोभा बढ़ाने के लिए कोरबा से अतिथि के डी दीवान, एन के त्रिपाठी, रविन्द्र दुबे, प्रभात शर्मा, विजय दुबे, बलराम शर्मा, सुरेन्द्र दीवान, आर डी दीवान, अखिलेश पांडेय, मिथिलेश पांडेय धर्म संघ पीठ परिषद के पदाधिकारी भूपेंद्र शर्मा, एन के सतपति मौजूद रहे। इन प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति ने न केवल कार्यक्रम का महत्व बढ़ाया, बल्कि उन्होंने आयोजन के प्रति अपने गहरे सम्मान और समर्थन को भी दर्शाया।
अतिथि के डी दीवान ने अपने उद्बोधन में कहा, शरदोत्सव केवल उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का गहरा प्रतीक है। इस आयोजन ने न केवल धार्मिक आस्था को जीवित रखा, बल्कि समाज को एक मंच पर लाकर सांस्कृतिक समृद्धि और सामूहिक सौहार्द का संदेश भी दिया।
अतिथि अखिलेश पांडेय ने कहा, बालको में इतना भव्य सांस्कृतिक समारोह होना गर्व की बात है। इस तरह के कार्यक्रम सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत करते हैं।” वे आयोजन की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए इसे सामाजिक सौहार्द का उत्कृष्ट उदाहरण बताया।
आयोजन में अपना पुरा सहयोग देते हुए समाज के सभी सदस्य क़दम से कदम मिलाकर पूरी रात साथ – साथ चलते रहे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में राजेश द्विवेदी, नरेश तिवारी,रामकिशोर शर्मा, रामकृष्ण पांडेय, संजीव शुक्ला, राजीव शर्मा, अमित शर्मा, चंदन शर्मा ने विशेष सहयोग प्रदान किया।
समाज के सदस्य रामकिशोर शर्मा ने कहा “हमारा लक्ष्य हर वर्ष इस आयोजन को और भी भव्य और विस्तृत बनाना है, ताकि यह न केवल मनोरंजन का माध्यम बने, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर का वाहक बने।” विगत कई वर्षों से चल रहा यह उत्सव अब बालको द्विज परिवार की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है, और आने वाले सालों में इसे और भी ऊंचाइयों तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
यह आयोजन समाज को न केवल मनोरंजन का अद्भुत अवसर प्रदान करता है, बल्कि यह समाज में आपसी सहयोग, सौहार्द और एकता को मजबूत करने वाला भी साबित होता है।
पूरे रात इस भव्य आयोजन ने सांस्कृतिक इतिहास में एक सुनहरा अध्याय जोड़ा, जिसे समाज के लोग लंबे समय तक याद रखेंगे।
समारोह के समापन में खीर प्रसाद वितरण किया गया, अंत में आभार व्यक्त दुष्यंत शर्मा द्वारा किया गया।