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ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने वाले वाले सेक्टरों के लिए ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल जरूरी किया जाएगा: सिंह

नई दिल्ली ll रिफाइनरी और फर्टिलाइजर जैसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाले सेक्टरों में फीडस्टॉक (कच्चे माल) के तौर पर ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल जरूरी करने का प्रस्ताव है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने बताया कि यह प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा। केंद्रीय कैबिनेट ने 4 जनवरी को नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी थी और इसके लिए 19,744 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थेl

उन्होंने उपस्थित लोगों को बताया कि वे भूमि अधिग्रहण के लिए विभिन्न राज्यों के साथ काम कर रहे हैं, जिसमें विभिन्न देशों के राजनयिक और उद्योग जगत के नेता शामिल थे। उन्होंने कहा कि भारत इसी गति से बढ़ रहा है और ये ऐसे उद्योग हैं, जिन्होंने ग्रीन हाइड्रोजन की 3.5 मीट्रिक टन क्षमता स्थापित करने के लिए काम करना शुरू कर दिया है।

यह बताना ज़रूरी है कार्बन डाईऑक्साइड गैस उत्सर्जन के मामले में भारत दुनिया में चौथे पायदान पर है। ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक कार्बन डाईऑक्साइड गैस उत्सर्जन के मामले में भारत की वैश्विक भागीदारी सात फीसद है। इस सूची में चीन 27 फीसद हिस्सेदारी के साथ पहले स्थान पर है। अमेरिका 15 फीसद के साथ दूसरे, यूरोपीय संघ 10 फीसद के साथ तीसरे स्थान पर है। दुनिया के कुल उत्सर्जन में इन चार देशों की 58 फीसद हिस्सेदारी है। बाकी सभी देश समग्र रूप स 42 फीसद उत्सर्जन करते है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने में कोयला अभी भी मुख्य भूमिका निभा रहा है और ऊर्जा की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि सौर ऊर्जा या पवन ऊर्जा से बिजली बनाने का काम इसकी जगह ले सकता है।

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