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पुलिस कांग्रेसियों पर दर्ज कर रही फर्जी मामले, सरकार की छवि धूमिल करने का षड्यंत्र : कांग्रेस

कोरबा। जिला कांग्रेस के नेता विकास सिंह पर पुलिसिया कार्रवाई का कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने कड़े शब्दों में विरोध किया है। नगर पालिका निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद, जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र जायसवाल और शहर अध्यक्ष सपना चौहान ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। संयुक्त तौर पर बयान जारी कर कहा है कि पुलिस का ध्यान सिर्फ और सिर्फ कोरबा जिले में डीजल, कोयला कबाड़ जैसे अवैध कार्यों को संचालित करने में है। जबकि जिले की कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। कांग्रेसियों को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है। पुलिस विरोधी राजनीतिक पार्टियों को चुनाव में फायदा पहुंचाने की साजिश रच रही, जिसे हम कामयाब होने नहीं देंगे। सरकार की छवि धूमिल करने के इन प्रयासों का हम विरोध करेंगे।

कांग्रेस के तीनों नेताओं ने संयुक्त तौर पर बयान जारी करते हुए कहा है कि वर्तमान में जिले के पुलिस महकमे में पदस्थ एसपी उदय किरण कांग्रेस विरोधी कार्य कर रहे हैं। वह कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर षड्यंत्र रचकर झूठी कार्रवाई कर रहे हैं। ताकि कांग्रेस को जिले में कमजोर किया जा सके। पुलिस ने एक तरह से अपना यह एजेंडा बना लिया है कि कोरबा जिले में किस तरह से विपक्षियों को मजबूत करना है और कांग्रेस पार्टी को डैमेज करना है। लेकिन हम इस तरह के कार्यों का पूरी ताकत से विरोध करेंगे। कांग्रेस पार्टी को किसी भी हाल में कमजोर नहीं होने देंगे।

हाल ही में विकास सिंह को प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने प्रदेश सचिव बनाया है। ऐसे नेता जिन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी तवज्जो दे रही है। उनके खिलाफ पुलिस षड्यंत्र रचकर कार्रवाई कर रही है। विकास सिंह पर एक फर्जी मामला दर्ज किया गया है। जिसका तथ्यों से कोई लेना देना नहीं है। वर्ष 2012 में एक महिला ने विकास सिंह पर 376 का मामला दर्ज कराया था। बाद में जब यह मामला कोर्ट तक पहुंचा। तब इस महिला को ही जज ने झूठा मामला दर्ज करने का दोषी पाते हुए 2 वर्ष के कारावास की सजा दी थी। अब यह बड़ा सवाल उठता है कि जिस महिला को कोर्ट ने ही झूठा साबित कर दो वर्ष की सजा दी थी। इस महिला की शिकायत को 8 साल बाद फिर से पुलिस ने संज्ञान में क्यों ले लिया?

महिला ने अपने पति के अपहरण करने और धमकी देने की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर 2020 में मामला दर्ज किया और इसी मामले को आधार बनाकर विकास सिंह को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। 2020 में जब उदय किरण जिले में एडिशनल एसपी थे। तब विकास को प्रताड़ित किया गया। फिर कुछ दिनों के लिए यह मामला शांत रहा। अब जब वह फिर से जिले के एसपी हैं। तब विकास को इसी मामले में फसाया जा रहा है। एक झूठी महिला की शिकायत पर विकास सिंह पर एट्रोसिटी और न जाने क्या-क्या फर्जी मामले दर्ज कर लिए गए हैं।

इसी तरह से कांग्रेस के पार्षद अमरजीत सिंह को भी पुलिस ने प्रताड़ित किया। उन्हें भी मारपीट के एक झूठे मामले में फंसा दिया गया है। जबकि जब यह तथाकथित मारपीट हुई। तब वह मेंबर इन काउंसिल की बैठक में कोरबा में मौजूद थे। मारपीट कुसमुंडा खदान में हुई थी। इसी मारपीट की घटना में उनका नाम जोड़कर उन्हें आरोपी बना दिया गया। पुलिस इस तरह से झूठे प्रकरण दर्ज कर, खासतौर पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है यह बेहद दुर्भाग्यजनक है।

महापौर राजकिशोर प्रसाद, ग्रामीण और अध्यक्ष सुरेंद्र जायसवाल और सपना चौहान ने यह भी कहा है कि विकास सिंह के विरुध यह फर्जी मामला दीपका थाने में दर्ज किया गया है। हम यह भी बताना चाहते हैं कि हाल ही में बेहद गोपनीय तरीके से दीपका थानेदार तेज प्रकाश यादव को लाइन अटैच किया गया। जिसके पीछे का सच यह है कि विकास सिंह पर फर्जी मामला दर्ज करने का दबाव टीआई पर बनाया गया था। लेकिन टीआई इस मामले में तटस्थ रहे और जिसका खामियाजा उन्हें लाइन अटैच होकर भुगतना पड़ा।

यह तो एक बानगी है, लेकिन अब कोरबा जिले में यह बेहद सामान्य बात हो चुकी है। जितने भी सुलझे हुए टीआई हैं। जो जनता की सेवा करना चाहते हैं। वह कोरबा जिले में थाने का प्रभार नहीं लेना चाहते। उनके मन में डर है, कि कब किसके खिलाफ कोई फर्जी प्रकरण दर्ज करने को कह दिया जाए। इस बात से थानेदार आशंकित हैं। एक तरह से वह भयभीत हैं। इसलिए कोरबा जिले के थानों में वर्तमान में ऐसे लोगों को शक्तियां प्रदान की गई हैं। जो एक इशारा मिलते ही कोई भी फर्जी प्रकरण दर्ज करने में तत्काल तैयार रहें। यही कारण है कि जिले में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। गुरुवार को कोरबा जिले से प्रकाशित कुछ प्रमुख अखबारों ने भी इसे अपनी हेडलाइंस में प्रकाशित किया है कि कैसे जिले में चाकूबाजी की घटनाएं हो रही हैं। व्यापारियों को निशाना बनाया जा रहा है। गुंडे बेखौफ होकर अपने अवैध कार्य को संचालित कर रहे हैं। जबकि असामाजिक तत्व बुद्धिजीवी वर्ग को चाकू मारने से भी नहीं हिचक रहे हैं।

 

पत्रकारों पर हमले में भी कार्रवाई नहीं, जिले में अराजकता का माहौल :

हाल ही में कोरबा जिले के मीडिया कर्मी उमेश यादव पर भी एक कंपनी के 10-12 बाउंसरों ने हमला कर दिया था। उमेश ने कार में खुद को बंद कर लिया और किसी तरह अपनी जान बचाई। गुंडों ने मोबाइल फोन और लाखों रुपये भी लूट लिया। इसे भी उन्होंने वापस नहीं किया है। इस घटना के 10 दिन बाद भी पुलिस द्वारा गिरफ्तारी नहीं की गई है। कुछ समय पहले इसी तरह पत्रकार रफीक मेहमान के विरुद्ध भी फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया गया। रफीक भी फिलहाल अपनी जान बचाकर बचते फिर रहे हैं। जनसामान्य, पत्रकार और कांग्रेस नेता सभी पुलिस के निशाने पर हैं। कब, किसपर, कौन सा फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया जाए। यह निश्चित नहीं है। पुलिस ने पूरी तरह से अवैध कार्यों को संचालित करने में अपनी शक्तियां लगा दी है। उनका फोकस सिर्फ अवैध कार्यों पर है। फिर चाहे इसके लिए उन्हें किसी भी हद तक जाना पड़े। इसकी उन्हें परवाह नहीं है। कानून व्यवस्था से भी समझौता करना पड़े तो भी इसकी परवाह पुलिस नहीं है। जिले में पूरी तरह से अराजकता का माहौल है। कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। कांग्रेस नेताओं ने इस बात की शिकायत कांग्रेस हाई कमान से करने की बात भी कही है।

गैर जिलाबल में पदस्थ टीआई दे रहे हैं पूरी सेवाएं:

कांग्रेसी नेताओं ने कोरबा जिले में पदस्थ टीआई सनत सोनवानी पर भी आरोप लगाए हैं। तीनों ने संयुक्त तौर पर कहा है कि सनत सोनवानी फिलहाल कोरबा जिले के गैरजिला बल में पदस्थ हैं। लेकिन फर्जी मामले में कोई कार्रवाई करने अभी भी उनका उपयोग किया जा रहा है। विकास सिंह पर की गई दुर्भावनापूर्वक कार्रवाई के दौरान भी सोनवानी उपस्थित रह कर टीम को लीड किया। पुलिस जिले में नियम और कानून को तक पर रखकर फर्जी कार्रवाई कर रही है। जिन पुलिस कर्मियों को कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है, उन्हें भी नियमों का दुरुपयोग कर पूरी शक्तियां प्रदान की गई है।

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