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बिजली विभाग की लापरवाही से प्रधानपाठिका व स्कूल के बच्चे खतरे में पड़े

भागते बच्चों को स्कूल के गेट में लगा करंट का जोरदार झटका, हुए बेहोश

अंबिकापुर। बिजली विभाग की लापरवाही से मंगलवार को शासकीय प्राथमिक शाला रिखीमुड़ा के बच्चों व प्रधानपाठिका की जान खतरे में पड़ गई। घटना में प्रधानपाठिका सहित आधा दर्जन बच्चे करंट का झटका लगने से झुलस गए। कुछ बच्चे बेहोश भी हो गए थे। इसकी जानकारी गांव के लोगों को मिली और वे स्कूल में अपने बच्चों का हाल जानने के लिए पहुंच गए। इनमें बड़ी घटना के बाद भी स्वजन को सूचना नहीं देने को लेकर रोष था, हालांकि आलम यह था कि बच्चों को करंट के बचाने का प्रयास करते स्वयं महिला प्राचार्य गंभीर स्थिति में पहुंच गई थी। ऐसे में आनन-फानन में उन्हें अंबिकापुर के एक निजी अस्पताल में लाया गया, यहां उपचार के बाद स्थिति सामान्य होने पर इनकी छुट्टी कर दी गई है।

बता दें कि गांव ही नहीं शहर में भी स्कूलों के आसपास खुले ट्रांसफार्मर अनहोनी का संकेत दे रहे हैं, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से बिजली विभाग बेपरवाह बना हुआ है। करंट की चपेट में स्कूल के बच्चों के आने जैसी घटना पूर्व में भी सामने आई है, लेकिन विभाग की लचर कार्यप्रणाली के चलते न तो खतरे से बचाने ट्रांसफार्मर के साथ लगे रहने वाले इक्विपमेंट को सुरक्षित करने की कोई पहल नहीं की गई है, जिससे कब कौन खतरे में पड़ जाएगा, कहना मुश्किल है। शासकीय प्राथमिक शाला और हाईस्कूल रिखीमुड़ा के पास भी ऐसे ही हालात हैं। मंगलवार को रोजाना की तरह यहां विद्यालय का संचालन हो रहा था, इसी दौरान अचानक पहले तो ट्रांसफार्मर जलने लगा, फिर स्कूल के अंदर तक लाए गए लूज तार कनेक्शन के कारण लोहे के प्रवेश द्वार में करंट आने लगा। करंट का एहसास होने पर प्रधानपाठिका शैलजा शुक्ला बच्चों को सुरक्षित करने की दृष्टि से उन्हें बाहर करने का प्रयास कर रही थी, इस दौरान लोहे के गेट के संपर्क में बच्चे आए और करंट का झटका लगने से कोई चिल्लाते भागा तो कोई बेहोश होकर जमीन पर गिर गया। प्रधानपाठिका ने बच्चों को खतरे में देखा और उन्हें बचाने की कोशिश में खुद करंट का जोरदार झटका खाकर गंभीर स्थिति में पहुंच गईं। इसकी जानकारी गांव के लोगों को मिली, तो वे बच्चों का हाल-खबर लेने स्कूल पहुंचने लगे। इधर प्रधानपाठिका की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें अंबिकापुर के एक निजी अस्पताल में लाया गया, यहां उपचार के बाद स्थिति में सुधार होते देख स्वजन उन्हें घर ले गए। बच्चों को प्राथमिक चिकित्सा सुविधा देने के बाद घर भेज दिया गया। इधर घटना के बाद ग्रामीणों में बिजली विभाग के लचर कार्यप्रणाली को लेकर आक्रोश है।

बिजली कनेक्शन के बाद तार को अस्त-व्यस्त छोड़ दिया

गांव के समीर मंडल ने बताया कि रिखीमुड़ा स्कूल जंगलपारा में एक माह पहले बिजली विभाग ने मीटर कनेक्शन दिया है। स्कूल में खंभा से लूज बिजली कनेक्शन देने के बाद तार को अस्त-व्यस्त तरीके से छोड़ दिया गया। एक माह हो गए इसके बाद तार को सुरक्षित करने कोई काम नहीं किया गया। लोहे के गेट में उक्त तार से अचानक करंट आया तो प्रधानपाठिका ने बच्चों को बाहर निकालने का प्रयास किया, ताकि कोई खतरे में न पड़े। बच्चों को निकालते समय उनका हाथ लोहे के गेट में पड़ गया और वे गंभीर रूप से जख्मी हो गईं। 10-12 बच्चे करंट के चपेट में आए लेकिन छह-सात बच्चे करंट से झुलसे हैं।

बच्चे ने कहा-करंट लगा और बेहोश हो गए

स्कूल में पढ़ने के लिए आए बच्चों ने बताया कि वे रोजाना की तरह स्कूल आए थे। कुछ देर बाद बिजली का झटका लगा और गेट के पास से जो भी बच्चा दौड़ते भागा वह दरवाजे को छूने के कारण करंट की चपेट में आने लगा। जब तक कोई इस माजरे को समझ पाता, तब तक एक दर्जन बच्चे करंट का झटका खा चुके थे, किसी का हाथ झुलस गया था, तो कोई बेहोश होकर गिर गया था। इन्हें स्कूल में लगे लोहे के गेट से दूर करने का प्रयास करते प्रधानपाठिका स्वयं करंट की चपेट में आकर गंभीर अवस्था में पहुंच गई थी।

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