बेटा अंश है तो बेटी वंश है, बेटा आन है तो बेटी घर की शान है-डॉ. संजय गुप्ता
⭕ *समाज में सतत रूप से जागरूकता फैलाकर कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का संदेश देना होगा -डॉ. संजय गुप्ता*
⭕ *बूढ़े माँ-बाप की लाठी है बेटियाँ-डॉ. संजय गुप्ता*
राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है । यह दिवस देश में लड़कियों को अधिक समर्थन और नए अवसर प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था । यह समाज में बालिकाओं द्वारा सामना की जाने वाली सभी असमानताओं के बारे में असमानता एक बहुत बड़ी समस्या है, जिसमें शिक्षा, पोषण, कानूनी अधिकार, चिकित्सा देखभाल, संरक्षण, सम्मान, बाल विवाह और बहुत सारी असमानताएँ हैं ।
भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बालिका दिवस को राष्ट्रीय बालिका विकास मिशन के रूप में शुरू किया गया है । यह मिशन पूरे देश में लोगों में लड़की की तरक्की के महत्व के बारे में जागरूक बढ़ाता है ।
दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में राष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष्य में लोगों को यह संदेश देने का यह प्रयास किया गया कि लड़कियाँ आज प्रत्येक क्षेत्र में अपनी काबिलियत का परचम लहरा रही है चाहे वह खेल हो, चिकित्सा हो, विज्ञान हो या अंतरिक्ष हो । वे सदा से ही पूजनीय व सम्माननीय रही हैं । गौर करने वाली बात यह भी है कि आई.पी.एस. दीपका क्षेत्र का एकमात्र ऐसा विद्यालय है जो नारी सशक्तिकरण एवं बालिका सुरक्षा का एक मिसाल प्रस्तुत करता है । विद्यालय में लगभग 98 प्रतिशत महिला शिक्षिका एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी कार्यरत है जो कि विद्यालय एवं अन्य के लिए गर्व की बात है ।
अभिभावक अजय गुप्ता ने कहा कि कन्याएँ सरस्वती, लक्ष्मी एवं दुर्गा का स्वरूप होती है । लड़का भाग्य से मिलता है जबकि लड़कियाँ सौभाग्य से मिलती है । ये सनातन काल से पूजनीय एवं वंदनीय रही है ।
श्रीमती नीलम ने कहा कि आज लड़कियाँ प्रत्येक क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही है । आज वे सीमा सुरक्षा बल में भी अपने कर्तव्य का निर्वहन कर पुरूषों के साथ कदमताल कर रही है । न सिर्फ थलसेना में अपितु नौसेना एवं वायुसेना में उनकी सक्रिय भागीदारी देखने को मिल रही है ।
श्रीमती रूमकी हलदर ने कहा कि मैं बहुत सौभाग्यशाली हूँ कि मैं दो कन्याओं की माँ हूँ जितना प्यार मुझे मेरी बेटियों से मिलता है उसे देखकर मैं हर पल गौरन्वित महसूस करती हूँ मैं स्वयं को बेटियों के साथ पूरा महसूस करती हूँ । यह बात सत्य है कि बेटियों के बिना घर-आँगन सुना-सुना लगता है ।
श्रीमती नेहा ने कहा कि आज महिलाओं को भी संसद में तैंतीस प्रतिशत आरक्षण प्राप्त हो गया है जो दर्शाता है कि आज कि कन्याएँ सशक्त हैं । आज लोगों में लड़कियों के प्रति नजरिया बदल रहा है । बालिका दिवस लड़कियों को आत्मनिर्भर और अहम दर्जा दिलाने का महत्वपूर्ण दिवस होता है ।
श्रीमती आकांक्षा ने कहा कि बालिकाओं के प्रति असमानता को हटाना बालिका दिवस का मुख्य उद्देश्य होता है । यह दिन हमें याद दिलाता है कि समाज में बालकों की तरह बालिकाओं को भी अधिकार मिलना चाहिए । यह दिवस उन्हें आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देता है । शिक्षित बालिकाएँ देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है । आज देश के महत्वपूर्ण पदों पर पदासीन होकर महिलाएँ बखूबी अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रही है l
अभिभावक श्री सूर्यप्रकाश देवांगन ने कहा कि आज स्थिति बदल गई है आज लड़कियाँ भी लड़को से किसी भी मामले में कम नहीं है । आज प्रत्येक मल्टीनेशनल कम्पनीज में भी लड़कियों की अधिकांश भागीदारी हमें देखने को मिलती है । लड़कियाँ न सिर्फ जेट प्लेन उड़ा रही है अपितु अभी वर्तमान में प्रक्षेपित चंन्द्रयान में भी महिला वैज्ञानिकों की भरपूर भागीदारी थी ।
अभिभावक राजकुमार एवं संजना देवी ने कहा कि फली-फुली टहनियाँ जमीन की ओर झुकी होती है । लड़कियाँ जहाँ भी रहे माँ-बाप से जुड़ी होती है वे जिन्दगीभर अपने रिश्तों को ईमानदारीपूर्वक निभाती है । वे त्याग, दया व समर्पण का जीता जगता मिसाल होती है ।
श्रीमती स्वाति सिंह ने कहा कि एक माँ होने के नाते मैं यह महसूस करती हूँ कि जितना सम्मान एक लड़की अपने परिवार वाले को देती है शायद कोई नहीं दे सकता । एक लड़की सभी किरदारों को जीती है वह माँ, बहन, पत्नी इत्यादि सभी रिश्तों को बखूबी निभाती है यदि उन्हें बराबर अधिकार दिए जाएँ तो वे हर जिम्मेदारी को ईमानदारीपूर्वक सम्पन्न करती है । बेटियों की हर एक मुस्कान माँ-बाप के लिए ईश्वर के उपहार से कम नहीं होता ।
संस्था के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि आज भी हमारे देश में कन्याओं के अधिकारों के प्रति असमानताएँ देखने को मिलती है । नारी सदा से ही पूजनीय व वंदनीय रही है । हमें कन्याओं के संरक्षण व सुरक्षा के साथ ही साथ उनकी उचित शिक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना होगा । हमें समाज में सतत रूप से जागरूकता फैलाकर कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का संदेश देना होगा । बालिका दिवस मनाने का एक ही उद्देश्य है बालिकाओं को विकास के अवसर प्रदान करना । समाज के निर्माण में बालिकाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। वे समाज की ऊर्जा, उत्साह और उत्थान के स्रोत होती हैं। बालिकाएँ समाज की नींव होती हैं। प्रारंभिक शिक्षा में बालिकाओं का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्हें अच्छी शिक्षा और उचित मार्गदर्शन मिलना चाहिए ताकि वे अपनी क्षमताओं का सही तरीके से उपयोग कर सकें। बालिकाएँ अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित होती हैं और समाज को एक उत्तेजना देती हैं कि महिलाएं भी हर क्षेत्र में महान कार्य कर सकती हैं। बालिकाएँ गृह और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्हें अपनी समाज सेवा क्षमता का परिचय करने का अवसर मिलता है जिससे समाज में सामूहिक उत्थान हो सकता है। इस प्रकार, बालिकाओं का योगदान समाज के विकास में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्हें समाज की सकारात्मक दिशा में नेतृत्व करने का अधिकार और अवसर होना चाहिए।