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भावी विधायकों पर पार्टियों की पैनी नजर, आंतरिक सर्वे के आधार पर अब राजनीतिक दलों ने बनाई नई रणनीति

रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सरकार बनाने का दावा जरूर कर रही हैं, लेकिन उन्हें अपने भावी विधायकों की खरीद-फरोख्त की चिंता भी सता रही है। पार्टियों को आंतरिक सर्वे में जिस तरह की रिपोर्ट मिल रही है, उससे वे बहुमत के आसपास पहुंच रही हैं। यानी जिस भी पार्टी के सामने बहुमत के लिए इक्का-दुक्का विधायक की कमी रहेगी, वह खरीद-फरोख्त का खेल कर सकती है।

प्रत्याशियों की घेराबंदी 

यही कारण है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही जीतते नजर आ रहे प्रत्याशियों की अभी से घेरेबंदी करने में लग गई हैं। उन्हें अकेला नहीं छोड़ने की पूरी कोशिश कर रही हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, भावी विधायक किससे मिल रहे हैं, किसके संपर्क में हैं, इस पर पैनी नजर रखी जा रही है।

बता दें कि प्रदेश की कुल 90 सीटों में बहुमत के लिए 46 सीटें जीतनी होंगी। प्रदेश में अभी तक कोई एग्जिट पोल नहीं आए हैं मगर मतदाताओं के रूझान के आधार पर कड़े मुकाबले की चर्चा हो रही है। हालांकि, पार्टियों का अपना- अपना दावा भी सामने आ रहा है। कांग्रेस 75 पार तो भाजपा 55 सीट के साथ जीतने का दावा करती दिख रही है। इस बीच मतदाताओं का दावा है कि ज्यादातर सीटों पर कांटे का मुकाबला है।

जोड़-तोड़ का सहारे की पड़ सकती है जरूरत

राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार, प्रदेश में तीसरे मोर्चे के रूप में उभरी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़(जे), बहुजन समाजप पार्टी, आम आदमी पार्टी, गोडवाना गणतंत्र पार्टी समेत अन्य स्थानीय पार्टियों को भी कुछ सीटें मिलने का अनुमान है। ऐसा होने पर नौबत त्रिशंकु विधानसभा की भी बन सकती है। ऐसे में सत्ता में आने के लिए निर्धारित जादुई आंकड़ा तक पहुंचने को दलों को जोड़-तोड़ का सहारा भी लेना पड़ सकता है।

निर्दलीय जीते तो होगी अहम भूमिका।

जानकारों के अनुसार प्रदेश में प्रमुख पार्टियों के बहुमत की स्थिति में नहीं पहुंचने की नौबत आई तो जीते हुए निर्दलीय प्रत्याशी भी अहम भूमिका में होंगे। इसके लिए पार्टियों के केंद्रीय नेताओं को भी सतर्क रहने के लिए कहा गया है।

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