महादेव सट्टा केस में भूपेश बघेल पर FIR:छत्तीसगढ़ के पूर्व CM सहित 21 आरोपी; ED बोली-ऐप प्रमोटर्स ने हवाला के जरिए दी रकम
महादेव सट्टा ऐप केस में EOW (आर्थिक अनुसंधान शाखा) ने ED की शिकायत पर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत 21 आरोपियों पर FIR दर्ज की है। इसमें ऐप प्रमोटर सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल समेत कई अज्ञात पुलिस अफसर और कारोबारियों के नाम भी शामिल हैंl
”प्रवर्तन निदेशालय के उपरोक्त प्रतिवेदन एवं साथ में संलग्न दस्तावेज, पूर्व में प्रेषित प्रतिवेदन क. ECIR/RPZO/10/2020/AD (MK) दि. 08.01.2024 व साथ में संलग्न दस्तावेज तथा प्रतिवेदन क. ECIR/ RPZO/10/2022/AD(MK) दि. 30.01.2024 व साथ में संलग्न प्रोविजनल अटैचमेंट आर्डर एवं अन्य दस्तावेजों के अध्ययन व परिशीलन के आधार पर पाया गया कि महादेव बुक ऐप के प्रमोटर्स रवि उप्पल, शुभम सोनी, सौरभ चंद्राकर, अनिल कुमार अग्रवाल के द्वारा विभिन्न लाईव गेम्स में अवैध सट्टेबाजी के लिये ऑफ लाईन सट्टेबाजी के स्थान पर विकल्प के रूप में ऑनलाईन प्लेटफॉर्म का निर्माण कर वाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम जैसे माध्यमों से विभिन्न वेबसाईट के जरीए सट्टा खिलाया जाने लगा। इन प्रमोटर्स द्वारा ऑनलाईन बैटिंग के लिए विभिन्न प्लेटफार्म तैयार कर पैनल ऑपरेटरों / ब्रांच संचालकों के माध्यम से ऑनलाईन बैटिंग के आपराधिक कृत्य का संचालन किया गया।
इस अवैध कमाई से लगभग 70 से 80% राशि स्वयं रखकर, शेष राशि पैनल ऑपरेटरों को प्रदान की गयी। ऑनलाईन बैटिंग एप के संचालन से प्रमोटर्स एवं ऑनलाईन बैंटिंग एप से जुड़े पैनल ऑपरेटर्स चेकर्स व उनके साथियों द्वारा वर्ष 2020 में लॉक डाउन के बाद से ऑनलाईन सट्टा खिलाकर लगभग 450 करोड़ रू मासिक की अवैध आय अर्जित की जाती रही है। महादेव बुक एप के प्रमोटर्स एवं पैनल ऑपरेटर्स के द्वारा इस अवैध अर्जित आय के ट्रांजेक्शन के लिए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक अकाउण्टस खोले गये तथा सैकड़ों बैंक अकाउण्टस कमीशन के आधार पर लेकर सट्टा से प्राप्त राशि का संचालन किया गया। महादेव बुक एप के प्रमोटर्स को पैनल ऑपरेटर्स द्वारा सट्टा की अवैध राशि विभिन्न बैंक अकाउण्ट के माध्यम से ट्रांसफर किया जाकर संयुक्त अरब अमीरात तक पहुंचाया गया है।
महादेव बुक एप के प्रमोटर्स द्वारा ऑनलाईन सट्टा से प्राप्त अवैध राशि से ऑनलाईन सट्टा के प्रमोशन के लिये सट्टेबाजी वेबसाईटों का विज्ञापन हेतु भारी मात्रा में नगद रकम खर्च की गयी। इस हेतु वार्षिक स्टार स्टडेड कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते थे, जिनमें शामिल मशहूर हस्तियों को सट्टेबाजी से प्राप्त अवैध राशि से भुगतान किया जाता था।
महादेव बुक एप के प्रमोटर्स द्वारा ऑनलाईन बैटिंग से प्राप्त अवैध राशि को भारी मात्रा में कई कंपनियों, शैल कंपनियों एवं शेयर मार्केट में निवेश किया गया है। इसी तरह इन प्रमोटर्स के द्वारा किप्टो करेंसी में भी निवेश किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा महादेव ऑनलाईन बुक के साथ जुड़े हरीशंकर तिबरेवाल के द्वारा इसी तरह का स्काई एक्सचेंज नामक बेटिंग प्लेटफार्म चलाया जा रहा था, जिसके पास से अवैध कमाई द्वारा अर्जित लगभग 580 करोड़ रू की संपत्ति प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अटैच की गयी है।
महादेव बुक एप के प्रमोटर्स द्वारा ऑनलाईन चैटिंग एप के इस आपराधिक कृत्य के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही को रोकने के लिए विभिन्न पुलिस व प्रशासनिक अधिकारीगण तथा प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों का संरक्षण प्राप्त किया गया साथ ही पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को अवैध प्रोटेक्शन मनी वितरण हेतु पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों का भी उपयोग किया गया। यह प्रोटेक्शन मनी की राशि हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से राशि वितरण करने वाले पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी तक पहुंचती थी. जिसे उनके द्वारा संबंधित पुलिस/प्रशासनिक अधिकारियों तथा प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों को वितरीत की जाती थी। विभिन्न पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी एवं प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा अपने पद का दुरूपयोग करते हुए प्रोटेक्शन मनी के रूप में अवैध आर्थिक लाभ प्राप्त करते हुए अवैध संपत्ति अर्जित की गयी है। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कई अचल संपत्तियों का प्रोविजनल अटैचमेंट किया गया है।
इस प्रकार महादेव बुक एप के प्रमोटर्स द्वारा अपने सहयोगी पैनल ऑपरेटर्स, चेकर्स, पंटर्स, लोकसेवकों एवं अन्य लोगों के साथ मिलकर अपराधिक षड़यंत्र करते हुए ऑनलाईन सट्टा के जरीए भारी मात्रा में अवैध आय अर्जित की गयी। इस सम्पूर्ण आपराधिक कृत्य में शामिल लोगों के विरूद्ध प्रथम दृष्टया धारा 120 बी, 34, 406, 420, 467, 468 471 भा.द.वि तथा धारा 7. 11 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 यथा संशोधित भ्र.नि. (संशोधन) अधिनियम 2018 का अपराध कारित किया जाना पाये जाने से अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। कार्यवाही जो की गई: उपरोक्त विवरण से धारा 120 बी, 34, 406, 420, 467,468, 471 भा.द.वि तथा धारा 7. 11 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 यथा संशोधित भ्र.नि. (संशोधन) अधिनियम 2018 का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।