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लोन लेकर कर रहे सीनाजोरी

कोरबा ll कई बार बैंकों के नाम पर रिकवरी एजेंट लोन लेने वालों को परेशान करते हैं और धमकाते हैं। मगर कोरबा में नजारा उल्टा नजर आया है जहां रिकवरी करने वाले रिकवरी एजेंट को नेतागिरी के नाम पर धमकाया जा रहा हैl ऐसी स्थिति तब आती है जब लोन लेने वाले किसी वजह से वक्त पर किस्त नहीं भर पाते।मगर अपनी पहचान की धोस दिखा कर रिकवरी करने आएं बैंक के एजेंटों को भागा देते हैंl ताजा मामला प्रकाश में आया है जहां जिला ऑटो संघ के अध्यक्ष गिरजेश सिंह ठाकुर बकायादा अपने व्हाट्सएप ग्रुप में लोन नहीं पटाने वालों को मैसेज किया की…

जिला ऑटो संघ के सदस्यों से निवेदन है जो भी गाड़ी हिंदुजा कंपनी से लिए हैं कई दलाल घूम रहे हैं वह 300 5000 मांग रहे हैं गाड़ी 3 महीना नहीं खींचेंगे उनसे आप सावधान हो जाइए₹1 मत दीजिए आप लोग गाड़ी खींचने मत दीजिएग आप लोग ऑटो संग कार्यालय आ जाएं धन्यवाद

इसके बाद बैंक के अधिकारी व एजेंट ने जिला ऑटो संघ के अध्यक्ष से बात की और उन्हें व्यापक जानकारी  से अवगत कराया जिसका असर यह रहा कि जिला ऑटो संघ के अध्यक्ष ने व्हाट्सएप का खंडन किया और लिखा की…

जो भी ऑटो चालक द्वारा हिंदूजा फाइनेंस के कर्मचारियों को पैसा दिया गया था हिंदुजा के मैनेजर के पास जमा हो गया है आज जिसका जिसका बकाया है वह जाकर बैंक में जमा करें चालकों द्वारा कुछ अधूरी जानकारी दी गई थी इसलिए मैं ग्रुप में डाल दिया था ऐसी कोई बात नहीं मार्च क्लोजिंग के पहले आप लोग बैंक मैनेजर से मुलाकात कर सकते हैं धन्यवाद

ऐसी घटनाएं भी सामने आती हैं जब रिकवरी एजेंट लोन लेने वाले की गाड़ी भी उठा लेते हैं। मगर यह सब तब किया जाता है जब अथॉरिटी बैंक या कंपनी के द्वार अथॉरिटी दिया जाता है उसका बकाईदा पुलिस थाने में सुचना देकर गाड़ी सिज की जाती हैl

हमने जिला ऑटो संघ अध्यक्ष से बात की तो गिरजेश सिंह ठाकुर ने बताया कि कुछ एक मामला मेरे पास आया था जिसके पैसे तो ले लिए गए थे मगर रसीद नहीं दिया गया था इसलिए मैंने व्हाट्सएप पर सभी ऑटो चालकों को सावधान रहने के लिए कहा थाl जिसके बाद बैंक मैनेजर से बात क्लियर होने पर दोबारा अपने ऑटो चालकों को समझा दियाl

ऐडवोकेट मंजीत अस्थाना बताते हैं कि लोन गाड़ी के लिए हो या फिर क्रेडिट कार्ड पर लिया गया हो। लोन लेने से पहले एग्रीमेंट पर दस्तखत करते वक्त ग्राहक को यह सुनिश्चित करना चाहिए किस एग्रीमेंट की सभी शर्तें पढ़ ली गई हैं। पढ़कर ही दस्तखत करें या फिर किसी कानूनी जानकार से सलाह ले लें। जब लोन लिया जाता है तो पेमेंट के लिए जिस अकाउंट की डिटेल बैंक दी जाती है, यह सुनिश्चित करें कि उस अकाउंट में तय तारीख पर किस्त के पैसे रहें।

जब बैंक आदि से लोन लिया जाता है तो बैंक और ग्राहक के बीच आर्बिट्रेशन ऐक्ट के तहत भी करार होता है कि उसकी धारा-9 के तहत किसी विवाद की स्थिति में मामला आर्बिट्रेटर के सामने जाएगा। ऐसी स्थिति में अगर किसी की किस्त का पेमेंट नहीं होता है तो बैंक या लोन देनदार संस्थान को अधिकार है कि वह आर्बिट्रेशन में मामला ले जाए और कॉम्पिटेंट अथॉरिटी के आदेश के तहत कानूनी कार्रवाई करे। आदेश के मुताबिक वह पुलिस की मदद से गाड़ी आदि उठा सकते हैं। साथ ही भुगतान न होने की स्थिति में बैंक व वित्तीय संस्थान रिकवरी के लिए सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

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