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विशुद्ध मन ही वासुदेव है और देवमयी बुद्धि देवकी-रमेश भाई ओझा

कला केंद्र मैदान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव का समापन आज

अंबिकापुर। शहर के कला केंद्र मैदान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव में भागवत गीता पढ़ने के लिए लोगों को प्रेरित करते हुए विश्वविख्यात कथा वाचक रमेश भाई ओझा ने कहा कि कथा के श्रवण, पठन व चिंतन से हृदय में भगवान की भक्ति प्रकट होती है। उन्होंने कहा भागवत के रहस्य को समझना चाहिए। स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर, कारण शरीर यह तीन शरीर हम धारण करते हैं। तन स्थूल, मन सूक्ष्म और कारण द्वारिका है। स्थूल शरीर से सूक्ष्म शरीर के पास अधिक शक्ति होती है। मन अगर कमजोर है तो चाहे तन कितना भी मजबूत हो हम भयभीत रहेंगे इसलिए कभी-कभी तगड़ा आदमी भी डरता है और दुबला पतला आदमी डरवाता है, क्योंकि उसका मन मजबूत रहता है। इसलिए हमें प्रभु से मन की मजबूती के लिए नित्य प्रार्थना, आराधना करनी चाहिए, खुद को भगवान से जोड़ें। भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन मानहेरू परिवार ने पितृ मोक्षार्थ गया श्राद्धत किया है, जिसका आज हवन व भंडारा के साथ समापन होगा। कथा का वाचन बीते 18 सितंबर से प्रतिदिन अपरान्ह 3 से सायं 7:30 बजे तक किया जा रहा है।

रमेश भाई ओझा ने आगे कहा जब तक आत्मा रूपी श्री कृष्णा शरीर में बैठे हैं तभी तक देह रूपी द्वारिका सलामत है। विशुद्ध मन ही वासुदेव है और देवमयी बुद्धि देवकी है। मन वासुदेव की तरह विशुद्ध बने इसके लिए पूजा पाठ मंत्रों का जाप करते रहें। बुद्धि देवमयी बने इसके लिए सत्संग करते रहें। उन्होंने बताया श्री कृष्ण इस धरा पर 125 वर्ष तक लीला किए, जिसमें 11 वर्ष वृज लीला, 14 वर्ष मथुरा लीला, 100 वर्ष द्वारिका लीला शामिल है। गीता के ज्ञान को समझें। भगवत गीता के ज्ञान को जो आत्मसात करता है वह मरते नहीं ब्रह्मलीन हो जाते हैं। भागवत गीता पढ़ने, कथा सुनने व चिंतन करने से भगवान की भक्ति प्रकट होती है और मन भगवान में लगा रहता है। श्री कृष्ण का संपूर्ण जीवन अनाशक्ति भाव का रहा है। श्री कृष्ण ने कहा है ऐसे रहो संसार में जैसे जल में कमल का फूल रहता है। जल में कमल का फूल कभी भीगता नहीं। तुम संसार में रहो तो कोई बात नहीं लेकिन संसार तुम्हारे में रहे तो जीवन की नैया डूबनी तय है। दूसरों का हित करने के समान कोई श्रेष्ठ कार्य नहीं होता, किसी का खून पीने से अच्छा किसी को खून का दान करना है। कहा भी जाता है कि रक्तदान जीवनदान है। कथा वाचक रमेश भाई ओझा ने बीते गुरुवार को श्री कृष्ण जन्मोत्सव का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान का जन्म संसार के कल्याण के लिए हुआ है। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म अवसर पर पूरा पंडाल जय-जयकार से गूंज उठा। श्रद्धालु आनंदित होकर नाचने झूमने लगे। नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की भजन की प्रस्तुति से श्रोता भक्त आनंद विभोर हो गए। इस अवसर पर बाल गोपाल के जन्म की झांकी प्रस्तुत की गई। इसमें बाबा वासुदेव टोकरी में बाल गोपाल को लेकर आए और व्यास पीठ तक लेकर गए यहां कथावाचक रमेश भाई ओझा ने बाल गोपाल को गोद में लिया। इस दौरान भक्तों ने भगवान के जन्म को लेकर आनंद के साथ उत्सव मनाया। इससे पूर्व रमेश भाई ओझा ने धर्म की व्याख्या करते हुए कहा सेवा का आशय धर्मांतरण का हो तो ठीक नहीं, यह सबसे बड़ा अधर्मिक प्रवृत्ति है। धर्म अमृत के समान है, संपूर्ण प्रजा को धारण करने वाला धर्म है। धर्म की परिभाषा संकीर्ण नहीं है। धर्म का आशय जोड़ना है, तोड़ना नहीं। धर्म के माध्यम से रूपांतरण करो एक अच्छे इंसान के रूप में रूपांतरण कर सकते हो तो ठीक है, जिससे परलोक सुधरे वह धर्म है। हम लोग धर्म को उपासना पद्धति से जोड़ लिए हंै। धर्म का रहस्य गुफा में है। धर्म सब नहीं समझते विशाल बुद्धि वाले व्यास समझते हैं और समझाते हैं। आदिवासी भोले-भाले लोग प्रकृति की गोद में प्रकृति की पूजा करते हैं, उनको अपने धर्म का पालन करने देना चाहिए उनका धर्मांतरण नहीं रूपांतरण होना चाहिए। इससे उनके बच्चे शिक्षित बनेंगे और उनका जीवन स्तर सुधरेगा। धर्म नहीं जीवन में तो वह भोगवादी जीवन कहलाता है। व्यवस्था बनाने में मानहेरू परिवार के विजय कुमार अग्रवाल विष्णु अग्रवाल प्रयागराज अग्रवाल माखन अग्रवाल रामलाल अग्रवाल शंकर अग्रवाल सतीश अग्रवाल बजरंग अग्रवाल कौशल अग्रवाल फकीर चंद्र अग्रवाल निर्मल कुमार अग्रवाल अजय अग्रवाल राजू अग्रवाल शिवलाल अग्रवाल संजय अग्रवाल संदीप अग्रवाल रिंकू अग्रवाल गुल्लू प्रिंस निर्मल हेमंत अंबिकेश विकास अग्रवाल कैलाश अग्रवाल प्रदीप अग्रवाल सहित स्वजन सक्रिय हैं। व्यवस्था बनाने में मानहेरू परिवार के विजय कुमार अग्रवाल, विष्णु अग्रवाल, प्रयागराज अग्रवाल, माखन अग्रवाल, रामलाल अग्रवाल, शंकर अग्रवाल, सतीश अग्रवाल, बजरंग अग्रवाल, कौशल अग्रवाल, फकीर चंद्र अग्रवाल, निर्मल कुमार अग्रवाल, अजय अग्रवाल, राजू अग्रवाल, शिवलाल अग्रवाल, संजय अग्रवाल, संदीप अग्रवाल, रिंकू अग्रवाल, गुल्लू, प्रिंस, निर्मल, हेमंत, अंबिकेश, विकास अग्रवाल, कैलाश अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल, सहित स्वजन सक्रिय है।

गणेश राम भगत के नेतृत्व में भव्य स्वागत

कथावाचक रमेश भाई ओझा का वनवासी समाज ने पंडाल में परंपरागत ढंग से स्वागत किया। गणेश राम भगत के नेतृत्व में बड़ी संख्या में वनवासी मांदर की थाप पर नाचते हुए पंडाल में उनका स्वागत अभिनंदन किए। इस मौके पर श्री भगत ने कहा कि महाराज के श्री चरण इस सरगुजा की धरा पर पड़े हैं इससे वनवासी समाज गौरवान्वित है। उन्होंने कहा कि वनवासियों के हृदय में राम भगवान को जगाने वाले महाराज रमेश भाई ओझा का दर्शन पाकर हम अत्यंत भाव-विभोर हैं।

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