हवन-पूजन और भक्तिभाव के साथ भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव संपन्न
सातवें दिन भी बहती रही रमेश भाई ओझा के मुखारविंद से प्रेम की रसधारा
अंबिकापुर। कला केंद्र मैदान में मानहेरू परिवार के द्वारा पितृ मोक्षार्थ गया श्राद्धत आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव सुदामा चरित्र के वर्णन पश्चात हवन-पूजन के साथ संपन्न हुआ। पूरे सात दिनों तक विश्वविख्यात कथावाचक रमेश भाई ओझा के मुखारविंद से प्रेम रसधारा की वर्षा होती रही, इसका बड़ी संख्या में धर्म प्रेमी बंधुओं ने श्रवण किया और पुण्य के भागीदार बने। कथा के दौरान संगीत के सुरों ने लोगों को बांधे रखा और मंत्रमुग्ध रहे। झांकियां आकर्षण का केंद्र रही। कथा के समापन अवसर पर लोगों की धर्म निष्ठा और सत्संग के प्रति रुचि देखकर कथावाचक रमेश भाई ओझा ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए लोगों में धर्मश्रद्धा को बलवती बनाने का आशीर्वाद दिया।
कथा के सातवें दिन रविवार को सुदामा चरित्र का वर्णन किया गया। इस दौरान कथावाचक रमेश भाई ओझा ने व्यास पीठ से कहा जीवन में प्रकाश चाहते हो तो चिंतन करो, जीवन का लक्ष्य सिर्फ पोषण का नहीं होना चाहिए, भागवत की गहराई में जाइए, इसे सुनो, पढ़ो और चिंतन करो। भागवत के रहस्य को समझना चाहिए, इसे आचरण में लाएं। भागवत के श्लोक अद्भुत हैं जो हमें आकृष्ट करते हैं। कई श्लोक के नए-नए अर्थ निकल आते हैं। भगवान के बांसुरी का बखान करते हुए उन्होंने कहा कि उनके बंसी में जादू है यह सबको अपनी ओर आकर्षित करती है। भगवान जब वेणु बजाते थे तो गाय चरना छोड़कर, गोपियां काम छोड़कर भगवान की ओर खिंची चली आती थीं। उन्होंने कहा कि इंद्रियां जो कुछ भी कर रही हों वे सब कुछ भूल जाती हैं और भगवान की ओर खिंची चली आती हैं। भागवत कथा के दौरान उन्होंने भगवान के लीलाओं के विभिन्न प्रसंगों का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि भागवत गीता के ज्ञान को आत्मसात करें, भगवान की भक्ति प्रकट होगी और मन भगवान में लगा रहेगा। उन्होंने बताया कि धर्म ग्रंथ रामायण हमें क्या करना चाहिए यह सिखाता है, जबकि महाभारत क्या करने से बचना चाहिए इसका दर्शन कराता है। उन्होंने कहा कि धर्म का पालन आवश्यक है दान, परोपकार, सत्य बोलने जैसे कार्य करते रहना चाहिए। कला केंद्र मैदान में इस पावन आयोजन के दौरान भगवान इंद्र की कृपा भी देखी गई। खास बात यह रही की कथा शुरू होते ही बारिश भी शुरू हो जाता था और झमाझम बारिश के बीच लोग कथा का श्रवण करते रहे। आकर्षक पंडाल के बीच बैठक की व्यवस्थित व्यवस्था की गई थी, जिसकी तारीफ न केवल भक्तों ने की बल्कि खुद कथावाचक ने आयोजकों की व्यवस्था को लेकर प्रसन्नता जताई और लोगों के कल्याण के लिए आशीर्वाद दिया, सत्कार करने प्रेरित किया। कथावाचक ने इस दौरान लोगों से आग्रह किया कि वे श्री हरि दर्शन के लिए पोरबंदर आएं और भगवान का दर्शन पाएंं। हवन पूजन के बाद कथा का समापन हुआ। कथा के आयोजक सोमवार को प्रयागराज, बनारस व गया दर्शन के लिए रवाना हुए। इस पावन आयोजन में मानहेरू परिवार के विजय कुमार अग्रवाल, विष्णु अग्रवाल, प्रयागराज अग्रवाल, माखन अग्रवाल, रामलाल अग्रवाल, शंकर अग्रवाल, सतीश अग्रवाल, बजरंग अग्रवाल, कौशल अग्रवाल, फकीर चंद्र अग्रवाल, निर्मल कुमार अग्रवाल, अजय अग्रवाल, राजू अग्रवाल, शिवलाल अग्रवाल, संजय अग्रवाल, संदीप अग्रवाल, रिंकू अग्रवाल, गुल्लू, प्रिंस, निर्मल, हेमंत, अंबिकेश, विकास अग्रवाल, कैलाश अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल, आयुष, पीयूष, मेहुल, वंश शौर्या, ऋषि, जय, कृष्ण, सोनू, आरो, नीटू, युवराज, प्रखर अग्रवाल सहित स्वजन सक्रिय रहे। कथा के दौरान उमड़ती भीड़ के मद्देनजर व्यवस्था बनाने में आयोजकों के साथ-साथ पुलिस प्रशासन का भी सक्रिय योगदान रहा, जिसका आयोजकों ने आभार जताया है।