भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के कारण कटघोरा की जनता ने लखनलाल को हराया, पलायन कर आना पड़ा कोरबा, अब यहां कर रहे जनता को गुमराह
कोरबा। कोरबा में बीजेपी संगठन की हालत बड़े नेताओं से भी छुपी नहीं है। बिकाऊ लखनलाल को भाजपा ने टिकट तो दे दिया है। लेकिन महापौर के कार्यकाल में उनके द्वारा किया गया भ्रष्टाचार और कटघोरा विधानसभा में कमीशनखोरी का कलंक धुल नहीं पा रहा है। कमीशनखोरी ने ही लखनलाल के साथ ही बीजेपी की लुटिया डूबाई है। अब वह लोगों को झांसा देने के लिए कोरबा विधानसभा आ गए हैं। और सिद्धान्तों की दुआई दे रहे हैं।
लखन को कोरबा से टिकट दिया गया। लखन को पहले महापौर का टिकट मिला फिर 5 साल इधर उधर घूमते रहे। फिर उन्हें कटघोरा से विधायक का टिकट मिला, तुक्के में चुनाव भी जीत गए। दोबारा टिकट मिला इस बार लखन के काले कारनामों ने उनकी खटिया खड़ी कर दी। वो चुनाव हार गए, चुनाव क्यों हारे यह भी बड़ा सवाल है।
इस बात के प्रमाण मौजूद हैं कि कटघोरा में कमीशनखोरी को लखन के कार्यकाल में बढ़ावा मिला। भ्रष्टाचार में संलिप्त लोगों के रहनुमा होने के कारण उन्हें संगठन का ही विरोध झेलना पड़ा। कमीशन के लिए चहेतों को काम दिलवाया। लखन, रमन सिंह के काफी करीबी हैं, फिर भी 2018 में चुनाव हार गए
अब भाजपा ने एक हारे हुए प्रत्याशी को कोरबा के सीट पर उतार दिया। सवाल यह भी है कि एक हारे हुए प्रत्याशी को सीट बदलकर कोरबा विधानसभा से टिकट क्यों दे दिया।
भाजपा को एक हारे हुए प्रत्याशी को जयसिंह जैसे कद्दावर नेता के खिलाफ मैदान में उतरना पड़ा। शहर के विकास को लेकर ना कोई विजन है। ना पूर्व के कार्यकालों की कोई बड़ी उपलब्धि। ऐसे में चुनाव में जाना और जनता को बरगलाना बेहद हिम्मत का काम है। वह समझ चुके हैं कि उनकी दाल यहां नहीं गलने वाली है। एक तरह से वह हार मान चुके हैं।