CHHATTISGARHCHHATTISGARH PARIKRAMACRIMEKORBANATIONALSPORTS

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में संत शिरोमणि गुरु घासीदास जी के जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित हुए विविध कार्यक्रम

⭕ विद्यार्थियों ने गुरु घासीदास जी का चित्र बनाकर एवं उनके वचनों को लिखकर प्रेरित करने का कार्य किया, साथ ही पंथी नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति देखकर झूमने को मजबूर हो गए दर्शक, इंडस पब्लिक स्कूल दीपका का प्रांगण हुआ तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजित।

⭕ प्रत्येक संत हमें त्याग ,बलिदान, समर्पण एवं सद्मार्ग की शिक्षा देते हैं ।संतों का जीवन हम सबके लिए अनुकरणीय-डॉ संजय गुप्ता।

⭕संतों का जीवन प्रेरणादायी गुरु घासीदास महान संत -डॉ संजय गुप्ता

बाल्याकाल से ही घासीदास के हृदय में वैराग्य का भाव प्रस्फुटित हो चुका था। समाज में व्याप्त पशुबलि तथा अन्य कुप्रथाओं का ये बचपन से ही विरोध करते रहे। समाज को नई दिशा प्रदान करने में इन्होंने अतुलनीय योगदान दिया था। सत्य से साक्षात्कार करना ही गुरु घासीदास के जीवन का परम लक्ष्य था। ‘सतनाम पंथ’ का संस्थापक भी गुरु घासीदास को ही माना जाता है।

बाबा गुरु घासीदास का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में गिरौद नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम मंहगू दास तथा माता का नाम अमरौतिन था और उनकी धर्मपत्नी का सफुरा था।श्री गुरू घासीदास जी 19 वीं सदी के हिंदू धर्म के सतनामी संप्रदाय के सर्वोपरि माने जाते हैं घासीदास जी का जन्‍म 18 वीं सदी में 18 दिसंबर 1756 में छत्‍तीसगढ़ के गिरौदपुरी में साधारण और गरीब परिवार में हुआ था । इनका जन्‍म उस समय में हुआ था जब भारत में छूआछूत और उंच-नीच, जाति भेदभाव जैसी समस्‍याओं में घिरे हुए थे । गुरूघासी दास जी इसी दौरान महापुरूष के रूप में दुनिया के सामने आये और भारत में भाईचारा जैसी चीज को बढ़ा़वा दिया है ।

गुरू घासीदास जी अपने पूरेे जीवन में सत्‍यता को बढ़ावा दिया चूंकि वे अपने जीवन में सत्‍यता और सात्विक जीवन जीने के लिये लोगों को प्रेरणा दिया और अपना जीवन मानव सेवा और सामाजिक कार्यों में ही लगा दिया और पूरा जीवन इसी में बिता दिया था ।

वैसे तुम इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में प्रत्येक जयंती एवं त्योहार से विद्यार्थियों को रूबरू अवश्य कराया जाता है लेकिन बात हो किसी महान संत या महान विचारक की जयंती की तब बात कुछ उम्दा और रोचक व ज्ञानवर्धक हो जाती है। इंडस पब्लिक स्कूल दीपिका की हमेशा से यहां कोशिश रहती है की विद्यार्थी हमारे देश में मनाया जाने वाले प्रत्येक व्रत, त्यौहार एवं जयंती के पीछे के इतिहास को अवश्य जानें एवं उससे प्रेरणा लेकर एक बेहतर भविष्य का निर्माण करें। इसी श्रंखला एवं परिपाटी को कायम रखते हुए इंडस पब्लिक स्कूल दीपिका के विद्यार्थियों के ज्ञान वर्धन करते हुए शिक्षक श्री राजू कौशिक(संगीत शिक्षक), श्री हरि शंकर सारथी(नृत्य प्रशिक्षक) एवं श्री हेमलाल श्रीवास( हिंदी विभाग अध्यक्ष )ने संत शिरोमणि श्री गुरु घासीदास जी की जीवनी से विद्यार्थियों को रूबरू कराया उनके त्याग बलिदान एवं समाज को दिए गए योगदान से बच्चों को अवगत कराया। नृत्य प्रशिक्षक श्री हरिशंकर सारथी जी के कुशल मार्गदर्शन में इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरु घासीदास जी की महिमा का गुणगान करते हुए कर्णप्रिय एवं मनमोहक पंथी नृत्य का बेहतरीन प्रदर्शन किया। पंथी नृत्य की रसमयि एवं मादक धुन में सभी दर्शक झूमने को मजबूर हो गए तालिया की गड़गड़ाहट से इंडस पब्लिक स्कूल का पूरा प्रांगण गुंजित हो गया।

विद्यार्थियों ने गुरु घासीदास जी के सुंदर-सुंदर चित्र बनाकर उनके प्रति सम्मान व्यक्त किया साथ ही संत शिरोमणि गुरु घासीदास जी के वचनों को भी माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों ने लिपिबद्ध कर विद्यार्थियों को प्रेरित करने का कार्य किया। *हिंदी विभाग अध्यक्ष श्री हेमलाल श्रीवास ने* कहा कि आज भी बलौदा बाजार जिला स्थित छाता पहाड़ में गुरु घासीदास जी की महिमा का हमें दर्शन होता है। आज भी उस पर्वत श्रृंखला के आसपास हमें स्वच्छता ही देखने को मिलती है ।सतनाम पंथ के समर्थकों के सम्मान में एवं संत शिरोमणि गुरु घासीदास जी के सम्मान को प्रदर्शित करती हुई कुतुब मीनार से भी ऊंची जय स्तंभ दर्शनीय है। हमें संतो के जीवन के आदर्श को अपने जीवन में उतारना चाहिए। यदि हम खाली हैं या खाली समय हमारे पास तो हमें चाहिए कि हम संतों की जीवनी का अध्ययन करें ।हम पाएंगे कि कितना त्याग, समर्पण, बलिदान और आदर्शों से परिपूर्ण रहता है प्रत्येक संत का जीवन। यदि हम संतों के चरित्रों को अपने जीवन में धारण करेंगे तो यकीन मानिए हम कभी भी सद्मार्ग से विमुख नहीं होंगे और शायद सद्मार्ग पर चलकर सत्य को प्राप्त करना ही मानव जीवन का महान लक्ष्य होता है ।आज की पीढ़ी मुझे लगता है भटक गई है हमें वर्तमान पीढ़ी को सदमार्ग पर लाने हेतु नैतिक मूल्यों पर अवश्य जोर देना होगा ।जो कि हमें प्रत्येक संतों का जीवन सिखाता है।

*विद्यालय के प्राचार्य डॉ संजय गुप्ता ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि* हमारे भारत देश की पहचान पूरे विश्व स्तर में यहां की सभ्यता, संस्कृति, विरासत एवं गुरु शिष्य परंपरा से हमेशा रही है। साथ ही संतो का योगदान ,संतों का मार्गदर्शन भी हमारे भारत देश को अन्य देशों से अलग पहचान देता है। एक से बढ़कर एक महान संतों का “हमारे भारत देश में अवतरण हुआ है ।स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती, विनोबा भावे, शंकराचार्य, वल्लभाचार्य, तुलसीदास जी, सूरदास जी ,मीराबाई ,संत रविदास, रसखान इत्यादि महान संतों ने सतत मार्गदर्शन कर हमें एक नई पहचान दी है। संतों की इस लंबी फेहरिस्त में संत शिरोमणि गुरु घासीदास जी का नाम हम कैसे भूल सकते हैं? जिन्होंने सत्य के दर्शन हेतु लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया। उन्होंने उन्होंने समाज को एक नई दिशा दी।पशु बलि का विरोध किया ।हमेशा सत्य कर्म करने हेतु एवं सत्य बोलने हेतु लोगों को प्रेरित किया। वह त्या,ग करुणा, परोपकार एवं सादगी के जीते जाते प्रतिरूप थे। उनके जीवन का प्रत्येक पहलू अनुकरणीय है। यदि हमें अपने जीवन को महान बनाना है तो महान कार्य करने से पहले महान सोच रखना आवश्यक है। हमारे संत ,हमारे गुरु ,हमें यही प्रेरणा देते हैं ।ना बुरा करें ,ना बुरा सोचें। अच्छे लोगों का संग करें और अच्छे कर्म करें ।हमारे संतो ने हमें हमेशा यही प्रेरणा दी है। हम संत शिरोमणि गुरु घासीदास जी के आदर्शों का पूरे श्रद्धा के साथ अनुकरण करें एवं अपने जीवन को सफल करने का प्रयास करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button