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बच्चों के सर्वांगीण विकास में माता की अहम भूमिका,माँ होती है बच्चों की प्रथम गुरु

सीतापुर:-शाला प्रवेश से पूर्व बच्चों का घरेलू स्तर पर मानसिक एवं बौद्धिक क्षमता विकसित करने अंगना मा शिक्षा का संभाग स्तरीय प्रशिक्षण आयोजित हुआ।लाइवलीहुड कॉलेज अंबिकापुर में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सरगुजा संभाग के सभी जिलों से महिला शिक्षिकाएं शामिल हुई।जहाँ शिक्षिकाओं ने गतिविधियों के जरिये सीखने की प्रक्रिया को जाना और उन्हें माताओं तक ले जाकर घर में उपलब्ध घरेलू सामग्री से उन गतिविधियों को बच्चों से कराने की कला सीखी।इस दौरान प्रशिक्षण को संबोधित करने आये संयुक्त संचालक सरगुजा संभाग हेमंत उपाध्याय ने शिक्षिकाओं का उत्साहवर्द्धन करते हुए कहा कि माँ बच्चों की प्रथम गुरु होती है जो बच्चों का सर्वांगीण विकास कर सकती है।शाला में प्रवेश लेने से पूर्व बच्चा माँ की गोद मे जीवन के क्रियाकलापों को सीखना आरंभ करता है।इसलिए बच्चों को सीखाकर माँ उन्हें मानसिक एवं बौद्धिक स्तर पर दक्ष बनाने में मुख्य भूमिका निभा सकती है।कार्यक्रम को डीएमसी रविशंकर तिवारी ने संबोधित कर कहा कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य नई शिक्षा नीति को बहुउद्देश्यीय बनाना है।नई शिक्षा नीति के तहत बुनियादी रूप से बच्चों को खेल खेल में आयु अनुसार शिक्षित करना समग्र शिक्षा का महत्वपूर्ण कदम है।यह कार्यक्रम बच्चों को शालाओं में आने से पूर्व की तैयारी सहित कक्षा पहली एवं दूसरी के बच्चों को मनोरंजन के साथ खेल खेल में सीखने का अवसर प्रदान करती है।जिसमे माताएं शिक्षक के रूप में मुख्य भूमिका निभाती है।उन्होंने कहा कि विगत वर्ष इस कार्यक्रम को आप सभी ने जिस तरह सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँचाया था।ठीक उसी तरह इस वर्ष भी जमीनी स्तर पर मेहनत कर आप सभी इस कार्यक्रम को सफल बनायें।अंगना म शिक्षा के तहत आयोजित प्रशिक्षण की एसआरजी अनिता तिवारी एवं प्रमिला कुशवाहा थे।जिन्होंने बड़ी कुशलता के साथ उत्साह भरे माहौल में प्रशिक्षण संपन्न कराया।इस अवसर पर एपीसी प्रशिक्षण दीपमाला सिंह प्रथम संस्था के प्रदेश प्रमुख गौरव शर्मा श्रवण पांडेय श्यामलाल चंद्रा एवं जिले भर से आई शिक्षिकाएं उपस्थित थीं

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