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खुराना स्कूल जोन दुकान पर जुर्माना…… उपभोक्ता आयोग ने दी सजा

गुणवत्ताहीन स्कूल ड्रेस देने का मामला

कोरबा। निजी स्कूल के विद्यार्थी के अभिभावक को बिक्री किए गए गणवेश के गुणवत्ताहीन होने उपरांत उसे वापस न लेकर और दूसरा गणवेश न देते हुए अभद्रता एवं दुव्र्यवहार करने वाले व्यवसायी पर अर्थदण्ड आरोपित किया गया है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने 30 दिवस के भीतर क्षतिपूर्ति राशि उपभोक्ता को प्रदाय करने का निर्णय पारित किया है।

इस मामले में पीडि़त विनय कुमार गौतम निवासी पोड़ीबहार के द्वारा 23 जून 2023 को अपनी पुत्री के लिए स्कूल यूनिफॉर्म कमर्शियल कॉम्पलेक्स टीपी नगर में संचालित खुराना स्कूल जोन प्रोपराइटर अमरजीत खुराना से क्रय किया गया था। स्कूल यूनिफॉर्म सहित मोजे एवं स्कूल बेल्ट का कुल भुगतान 1610 रुपए विनय कुमार द्वारा संचालक को किया गया। इसके पश्चात यूनिफॉर्म को घर लाकर कुछ देर तक पानी में डुबोकर रखने के बाद यूनिफार्म को बाहर निकालने पर लिखा गया स्कूल का प्रिंटेड नाम पूरी तरह से धूमिल हो गया और कपड़े का निचला भाग रंगहीन हो गया। विनय कुमार ने ठीक दूसरे दिन दुकान में जाकर यूनिफार्म को दिखाया और बदलकर नया यूनिफार्म देने का आग्रह किया। संचालक ने 10-15 दिन बाद नया यूनिफार्म देने की बात कही लेकिन 15 दिन बीतने के बाद जब विनय कुमार उक्त दुकान में गया तो संचालक अमरजीत खुराना ने यूनिफार्म बदलने से मना कर दिया। उसका तर्क था कि यूनिफॉर्म हमारे संस्थान द्वारा नहीं बनाया गया है, जिसके लिए मैं जवाबदार नहीं हूं और न ही हमारे संस्थान में कपड़ों का एक्सचेंज होता है। विनय कुमार से अपशब्द व अशोभनीय व्यवहार कर अपमानित किया गया। इससे क्षुब्ध होकर अधिवक्ता मंजीत अस्थाना के द्वारा विनय कुमार ने सेवा में कमी का प्रकरण उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 35 के अंतर्गत आर्थिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति सहित अन्य अनुतोष एवं यूनिफॉर्म की राशि वापस दिलाने हेतु परिवाद जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कोरबा के समक्ष प्रस्तुत किया। दोनों पक्षों के तर्क सुनने उपरांत आयोग ने माना कि अमरजीत खुराना सेवा में कमी की है, उसे यूनिफॉर्म की टी-शर्ट की कीमत 340 रुपए, मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के लिए 3 हजार रुपए, वाद व्यय के रूप में 1 हजार रुपए विनय कुमार को देने का आदेश दिया गया। साथ ही व्यावसायिक कदाचरण के मद में 1 हजार रुपए का अर्थदण्ड आरोपित कर यह राशि जिला उपभोक्ता आयोग के सहायता खाता में जमा करने निर्देशित किया गया। यह भी कहा गया कि भविष्य में इस प्रकार के व्यापारिक व्यवहार की पुनरावृत्ति नहीं हो l

 

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