छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने जिला न्यायालय का किया निरीक्षण
केंद्रीय जेल, बाल संप्रेक्षण गृह, नारी निकेतन औचक पहुंच कर व्यवस्थाओं का लिया जायजा, दिए आवश्यक निर्देश
अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने जिला सरगुजा प्रवास के दौरान जिला न्यायालय का निरीक्षण किया। उन्होंने जिला कोर्ट के प्रत्येक शाखा नकल रूम, रिकॉर्ड रूम एवं समस्त न्यायालयों का निरीक्षण करने के बाद जिला अधिवक्ता संघ के साथ बैठक ली। इस दौरान उन्हें शॉल-श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। उन्होंने बैठक को संबोधित करते हुए बताया कि अंबिकापुर जिला न्यायालय में लगभग 46 करोड़ रुपये की लागत से कंपोजिट बिल्डिंग का निर्माण कार्य किया जाएगा, स्वीकृति हेतु शासन को पत्र भेज दिया गया है।
मां महामाया मंदिर में दर्शन करने के बाद केंद्रीय जेल का भी औचक निरीक्षण किए। उन्होंने पुरुष बंदीगृह के सभी बैरकों और महिला बंदीगृह का निरीक्षण किया। साथ ही जेल के अस्पताल का निरीक्षण किया। मुख्य न्यायाधीश ने जेल में स्थायी रूप से चिकित्सक की नियुक्ति और बंदियों को दिए जा रहे दवाई की जानकारी ली।
चीफ जस्टिस श्री सिन्हा ने जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम, विधिक प्रकोष्ठ का निरीक्षण कर आवश्यक जानकारी ली। साथ ही जेल के कैंटीन, बंदियों की ओर से संचालित बुनाई कक्ष, शिक्षा केंद्र का भी निरीक्षण किया। उन्होंने जेल अधीक्षक से महिला बंदियों के बच्चों को मिलने वाली सुविधाओंं स्वास्थ्य, शिक्षा और उनके सर्वांगीण विकास के लिए व्यवस्था की जानकारी ली और आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने के दिशा-निर्देश दिए। वे बाल संप्रेषण गृह औचक निरीक्षण के लिए पहुंचे। इस दौरान उन्होंने बच्चों से बात कर बाल संप्रेक्षण गृह में मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान बाल संप्रेषण गृह की कमरों की स्थिति की जांच की। साथ ही बिल्डिंग मेंटेनेंस कराने के दिशा-निर्देश दिए। मुख्य न्यायाधीश ने बाल संप्रेषण गृह बालिका एवं नारी निकेतन का निरीक्षण कर वहां मौजूद महिलाओं से बात कर सुविधाओं की जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान मुख्य न्यायाधीश के साथ रजिस्ट्रार जनरल अरविन्द कुमार वर्मा तथा एडिशनल रजिस्ट्रार कम पीपीएस एमबीएलएन सुब्रहमन्यम भी उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश अपने कुछ माह के कार्यकाल में ही राज्य के अधिकांश जिला न्यायालयों का भौतिक निरीक्षण करते हुए अधोसंरचना व व्यवस्था में सुधार हेतु अधिकारियों को आवश्यक निर्देश प्रदान करने में लगे हैं, जिसके परिणामस्वरूप कार्य व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन दिखाई देना शुरू हो गया है।