आई.पी.एस. दीपका में छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष्य आयोजित हुए विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम
⭕ *आई.पी.एस. दीपका में छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य की धुनों पर झूमने को विविश हुए दर्शक।*
⭕ *एमरल्ड, सफायर, रुबी एवं टोपाज सदन के विद्यार्थियों ने दी छत्तीसगढ़ी गीतों पर रंगारंग प्रस्तुति ।*
⭕ *अपनी ओजस्वी एवं शानदार प्रस्तुति से बना सफायर हाउस विजेता एवं उपविजेता का खिताब दिया गया एमराल्ड हाउस को । साथ ही तृतीय स्थान पर संयुक्त रूप से रहे टोपाज एवं रूबी हाउस।*
⭕ *छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य एवं छत्तीसगढ़ी नाटक का भरपूर आनंद लिया आई0पी0एस0 दीपका के विद्यार्थियों ने ।*
⭕ *छत्तीसगढ़ की लोक कला एवं संस्कृति जो हमें विरासत में मिली है इनका संरक्षण एवं आने वाली पीढ़ियों को उसका हस्तांतरण हमारा नैतिक जिम्मेदारी है -कुमार निशांत (डीएफओ कटघोरा)*
⭕ *छत्तीसगढ़ की बोली, भाषा, रहन-सहन, संस्कृति सबसे अलग व मनमोहक है। यहाँ के निवासी ईमानदार और परिश्रमी हैं- श्रीमती ज्योति नरवाल*
⭕ *छत्तीसगढ़ की माटी में गजब की सौंधी महक होती है, जो सबका दिल जीत लेती है। यहां के खान-पान रहन-सहन तीज त्यौहार किसी को भी सहसा ही अपनी और आकर्षित कर लेते हैं-श्रीमती सुजाता दुबे*
⭕ *इंडस पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने हुनर की कोई कमी नहीं है इस बात को यहाँ के विद्यार्थियों ने समय-समय पर साबित कर दिखाया है -श्रीमती मेहता।*
⭕ *हम जहाँ रहते हैं वहाँ की संस्कृति व परंपरा को हमें आत्मसात करना चाहिए। कला एवं संस्कृति के विकास में ही निहित सभ्यता का विकास निहित होता है-डॉ. संजय गुप्ता*
⭕ *हमें हमेशा अपनी कला,संस्कृति व परंपराओं को सहेजकर रखने का प्रयास करना चाहिए-डॉ. संजय गुप्ता*
छत्तीसगढ़ भारत का 26 वां राज्य है जो कि प्राचीन काल में दक्षिण कौशल के नाम से जाना जाता था। कुछ विद्वानों ने इसका नाम कोसल तथा महाकोसल भी बताया है, और प्राचीन ग्रंथों में छत्तीसगढ़ का नाम महाकान्तर भी पाया गया है। 1 नवम्बर 2000 कों यह मध्य प्रदेश से विभाजित कर पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण कर लिया गया।6 वी एवं 12 वी शताब्दी में शरभपुरीय, पन्दुवंशी, नागवंशी और सोमवंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। कलचुरियों ने इस क्षेत्र पर वर्ष 875 ई० से लेकर 1741 ई० तक राज्य किया। 1741 ई० से 1854 ई० में यह क्षेत्र मराठों के शासन आधीन रहा। फिर 1854 ई० में जब अंग्रेजों के आक्रमण के बाद ब्रिटिश शासन काल में राजधानी रतनगढ़ के बजाय रायपुर का महत्त्व बढ़ गया। मध्य प्रदेश का हिस्सा निकालकर बनाया गया यह राज्य भारतीय संघ के 26वें राज्य के रूप में 1 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया। यह राज्य यहां के आदिवासियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करता है। प्राचीनकाल में इस क्षेत्र को दक्षिण कोशल के नाम से जाना जाता था। इस क्षेत्र का उल्लेख रामायण और महाभारत में भी मिलता है। छठी और बारहवीं शताब्दियों के बीच सरभपूरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। कलचुरियों ने छत्तीसगढ़ पर सन 980 से लेकर 1791 तक राज किया। सन 1854 में अंग्रजों के आक्रमण के बाद ब्रिटिश शासनकाल में राजधानी रतनगढ़ के बजाय रायपुर का महत्व बढ़ गया। सन 1904 में संबलपुर, ओडिशा में चला गया और सरगुजा रियासत बंगाल से छत्तीसगढ़ के पास आ गई। छत्तीसगढ़ पूर्व में दक्षिणी झारखंड और ओडिशा से, पश्चिम में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से, उत्तर प्रदेश और पश्चिम में झारखंड से और दक्षिण में आंध्र प्रदेश से घिरा है। छत्तीसगढ़ क्षेत्रफल के हिसाब से देश का नौवां बड़ा राज्य है और जनसंख्या की दृष्टि से इसका 17 वां स्थान है।
राज्य स्थापना दिवस पर दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन कर राज्योत्सव मनाया गया । इस अवसर पर माननीय कुमार निशांत (डी एफ ओ कटघोरा) ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई साथ ही विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती ज्योति नरवाल उपस्थित थी।
कार्यक्रम का शुभारंभ सर्वप्रथम दीप प्रज्जवलन एवं छत्तीसगढ़ के राजकीय गीत-’अरपा पैरी के धार’ से हुआ । विद्यालय में अध्ययनरत विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों के द्वारा छत्तीसगढ़ की माटी एवं छत्तीसगढ़ी लोक कला का बखान करने वाली सुआ, करमा, राउत नाचा, पंथी, जस गीत आदि रमणीय एवं मनमोहक गीतों पर अपनी मनभावन नृत्य से समां बाँध दिया । सभागार में उपस्थित सभी दर्शक झूमने को विवश हो गए। गौरतलब है कि विद्यालय के सभी हाउस के क्रमशः एमरल्ड, सफायर, रुबी एवं टोपाज सदन के विद्यार्थियों के मध्य शानदार छत्तीसगढ़ी नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।छत्तीसगढ़ी नृत्य के सभी गीतों पर दर्शकगण झूमने को विवश हो गए। विद्यालय के नृत्य प्रशिक्षक श्री हरिशंकर सारथी एवं राम खिलावन यादव के द्वारा भी शानदार युगल नृत्य की प्रस्तुति दी गई। सभी हाउस के विद्यार्थियों ने अपनी नृत्य प्रतिभा से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया इस कड़े मुकाबले में सफायर हाउस के विद्यार्थियों ने जसगीत की ओजस्वी प्रस्तुति देते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया वहीं एमरल्ड हाउस के विद्यार्थियों ने सुवा, करमा एवं राउत नाचा जैसे विभिन्न नृत्य कलाओं की प्रस्तुति कर दूसरा स्थान प्राप्त किया। तृतीय स्था संयुक्त रूप से रूबी हाउस एवं टोपाज हाउस के विद्यार्थियों को प्रदान किया गया। सभी हाउस के विद्यार्थियों का प्रदर्शन भी सराहनीय रहा । कार्यक्रम में जज की भूमिका श्रीमती मेहता एवं श्रीमती सुजाता दुबे ने निभाया । इस गरिमामयी कार्यक्रम में विगत दिनों संपन्न हुए विभिन्न सीसीए कांपिटिशंस में विजित हुए विद्यार्थियों को मुख्य अतिथि के करकमलों से पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुमार निशांत ने कहा कि लोक कला एवं संस्कृति जो हमें विरासत में मिली है इनका संरक्षण एवं आने वाली पीढ़ियों को उसका हस्तांतरण हमारा नैतिक जिम्मेदारी है । छत्तीसगढ़ की संस्कृति और खानपान सबसे जुदा छत्तीसगढ़ की संस्कृति और खानपान सबसे जुदा है। यहाँ के प्राकृतिक एवं सरल जीवनशैली सबका मन मोह लेती है। सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम और लगन आवश्यक है । स्वस्थ तन और मन से हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं ।
कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट अतिथि श्रीमती ज्योति नरवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की बोली, भाषा, रहन-सहन, संस्कृति सबसे अलग व मनमोहक है। यहाँ के निवासी ईमानदार और परिश्रमी हैं। यहाँ के लोगों की अद्तिय मान्यताएँ व विशिष्ट जीवनशैली इस राज्य को अन्य से अलग करती है। एक अंग्रेजी माध्यम विद्यालय होते हुए भी यहाँ के बच्चों की प्रतिभा छत्तीसगढ़ लोकनृत्य के प्रति समर्पण काबिले तारीफ है मैं इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हुँ इस क्षेत्र में संचालित अन्य विद्यालयों की अपेक्षा इंडस पब्लिक स्कूल ने हमेशा से भारत की कला और संस्कृति को महत्व दिया और यहीं संस्कार विद्यार्थियों में भी डालने हेतु प्रयासरत है जो कि इस विद्यालय को अन्य विद्यालय से अलग करती है ।
श्रीमती मेहता ने कहा कि इंडस पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने हुनर की कोई कमी नहीं है इस बात को यहाँ के विद्यार्थियों ने समय-समय पर साबित कर दिखाया है आज कि इस छत्तीसगढ़ लोकनृत्य प्रस्तुति को देखकर मैं इन होनहार विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हुँ कि ये भविष्य में अपने परिश्रम एवं लगन के बलबूते अपने लक्ष्य को प्राप्त करें ।
श्रीमती सुजाता दुबे ने अपना विचार करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की माटी में गजब की सौंधी महक होती है, जो सबका दिल जीत लेती है। यहां के खान-पान रहन-सहन तीज त्यौहार किसी को भी सहसा ही अपनी और आकर्षित कर लेते हैं ।आज के इस शानदार कार्यक्रम में मैं इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों की प्रतिभा को देखकर निःशब्द हो गई हूं ।यह विद्यालय विद्यार्थियों को शैक्षणिक गतिविधियों में आगे तो रखता ही है साथ ही पाठ्य सहगामी क्रियाओं में भी हमेशा सक्रिय रखता है ।इस विद्यालय में विद्यार्थियों का भविष्य निश्चित ही सुरक्षित है । न सिर्फ पढ़ाई अपितु विभिन्न पाठ्य सहगामी क्रियाओं में भी सक्रिय भागीदारी देखने को मिलती है। छत्तीसगढ़ लोक नृत्य की इस शानदार प्रस्तुति से में बहुत ही आनंदित हो गई हूं ।यहां के विद्यार्थियों को मैं हृदय से धन्यवाद देना चाहती हूं।
इस अवसर पर विद्यालय *प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता* ने सभी को राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएँ दी और कहा कि 1 नवंबर, 2000 यानी 22 साल पहले आज ही के दिन मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया था। पौराणिक नाम की बात की जाए तो इसका नाम कौशल राज्य (भगवान श्रीराम की ननिहाल) है। गोंड जनजाति के शासनकाल के दौरान लगभग 300 साल पहले इस राज्य का नाम छत्तीसगढ़ रखा। हम जहाँ रहते हैं वहाँ की संस्कृति व परंपरा को हमें आत्मसात करना चाहिए। कला एवं संस्कृति के विकास में ही निहित सभ्यता का विकास निहित होता है। हमें हमेशा अपनी कला,संस्कृति व परंपराओं को सहेजकर रखने का प्रयास करना चाहिए।
मंच संचालन मिस पारुल पदवार एवं मिस ईशा रॉय चौधरी ने किया साथ ही कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न करने में विद्यालय के शैक्षणिक प्रभारी श्री सब्यसाची सरकार सर (शैक्षणिक प्रभारी उच्च एवं उच्चतर माध्यमिक स्तर)एवं श्रीमती सोमा सरकार (शैक्षणिक प्रभारी प्री प्राइमरी ) के साथ ही पूरे विद्यालय परिवार का भरपूर सहयोग रहा। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापित मिस पारुल पदवार ने किया एवं राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया ।