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कोतवाली के शस्त्रागार में दादा की जमा “रायफल” को खोज रहा पोता

आईजी, एसपी, डीजीपी, गृहमंत्रालय तक जानकारी देने के बाद भी नहीं पता चला

अंबिकापुर। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लाइसेंसी शस्त्रों को जमा कराने जिला व पुलिस प्रशासन सक्रिय है। इधर वर्ष 2008 में विधानसभा चुनाव दौरान कोतवाली थाना में जमा कराए गए पुश्तैनी रायफल के गायब होने की गुत्थी लगभग छह वर्षों से अनसुलझी है। इसकी जानकारी पुलिस अधिकारियों से लेकर गृह मंत्रालय तक देनेे के बाद भी रायफल का पता नहीं चल पाया है। हर चुनाव के पहले इस परिवार से बंदूक थाना में जमा करने कहा जाता है, लेकिन थाना के सुपुर्दगी में दी गई बंदूक के गायब होने का हवाला देने पर चुप्पी साध लेते हैं। थाने में जमा कराई गई दादा की अमानत को उनका पोता वर्ष 2016 में देखा था। इसके बाद कोतवाली पहुंचकर जब रायफल देखने की इच्छा जाहिर की गई, तो शस्त्रागार में नहीं थी।

पुलिस लाइन रोड, अंबिकापुर निवासी मनोज सिन्हा पिता स्व. शिवपूजन प्रसाद ने अब तक दिए गए एक दर्जन से अधिक आवेदनों में डीजीपी मुख्यालय रायपुर, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक, कोतवाली प्रभारी, गृह मंत्रालय को बताया है कि उन्होंने कोतवाली थाना में रायफल नंबर 275316 45-ए मॉडल 1917 थाने में जमा किया था। इसकी रसीद दी गई थी, जो साफ-सफाई के दरम्यान कहीं खो गई। काफी खोजबीन करने के बाद भी रसीद नहीं मिला। उन्होंने अक्टूबर 2016 में थाना कोतवाली में जमा रायफल के रसीद गुमने की जानकारी तत्कालीन एसएचओ को दी और रायफल देखने का निवेदन किया। इस दौरान एक आरक्षक ने उन्हें रायफल दिखाया, जो काफी वजनी लाल कपड़े का फीता बंधा था। उनके पिता का नाम शिवपूजन प्रसाद पिता स्व. शिवकुमार व रायफल का डिटेल बट में चस्पा किया गया था। कोतवाली अंबिकापुर के सभी शस्त्र पंजी में उक्त रायफल का विवरण अंकित है, लेकिन कोतवाली के शास्त्रागार से रायफल गायब है।

*शस्त्रों की पहचान कराते रहे अधिकारी*

मनोज सिन्हा ने बताया कि कोतवाली के शस्त्रागार में जमा की गई रायफल के गायब होने की जानकारी देने पर कई बार उन्हें शस्त्रागार में ले जाकर अन्य जमा किए गए अस्त्र-शस्त्र दिखाए गए। यहां रखे गए बंदूक, रायफल की पहचान कराई गई, लेकिन उनका पुश्तैनी रायफल नजर करने की संभावना व्यक्त की है। कोतवाली के शस्त्रागार से जमा रायफल के गुम होने पर उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया है। तत्संबंध में कई शिकायती आवेदन देने व थाने का चक्कर काटने के बाद भी रायफल का पता नहीं चलना विचारणीय है। इनका आरोप है कि थाना कोतवाली ने उनकी शिकायत को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया। पल्ला झाड़ने के लिए तत्कालीन थानेदार रायफल जमा करने की पावती प्रस्तुत करने कहते रहे। रायफल कहां गया इसे जानने का प्रयास नहीं किया गया।

*शस्त्रपंजी में दर्ज रायफल की होनी चाहिए जांच*

मनोज सिन्हा का कहना है कि थाना कोतवाली से रायफल का गायब होना अत्यंत ही गंभीर विषय है। अगर रायफल किसी असामाजिक या हिंसक तत्व के हाथ में पड़ जाता है और गंभीर घटना उक्त रायफल से कारित होती है तो यह उनके लिए परेशानी का सबब बन सकता है। उक्त रायफल उनकी पुश्तैनी संपत्ति है। थाना कोतवाली के शस्त्रपंजी में दादा के समय से उक्त रायफल के संबंध में विस्तृत जानकारी दर्ज है। कोतवाली जैसेे संवेदनशील स्थान में जमा किए गए रायफल के नहीं मिलने को हल्के में नहीं लेना चाहिए। वे इसकी जांच किसी एजेंसी से कराने का आग्रह लंबे समय से करते आ रहे हैं।

*बयान-*

”मुझे इसकी जानकारी नहीं है। आपके माध्यम से मामला संज्ञान में आया है। इसकी जांच कराई जाएगी।

*पुपलेश कुमार, एएसपी सरगुजा*

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