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पति कुछ न कमाता हो, फिर भी पत्नी को देना होगा गुजारा भत्ता

रायपुर ll मामला कुछ ऐसा था कि, साल 2016 में पति ने तलाक के लिए याचिका दायर की थी. पत्नी और पति ने एक-दूसरे से अंतरिम भरण-पोषण की मांग करते हुए आवेदन दायर किया था, जबकि निचली अदालत ने पत्नी के आवेदन को खारिज कर दिया, उसने पति के आवेदन को स्वीकार कर लिया, जिसमें पत्नी को पति को ₹10,000 का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें एक पत्नी को अपने बेरोजगार पति को ₹10,000 महीने गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था. यह फैसला उस पारंपरिक कानूनी धारणा को चुनौती देता है, जहां आम तौर पर पति को पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया जाता है. हाईकोर्ट का फैसला निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली पत्नी की याचिका के जवाब में आया था. महिला का पति मेडिकल बीमारियों से भी पीड़ित है, उसे ₹10,000 का मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था.

अदालत ने क्या टिप्पणी की?

इसलिए वैवाहिक विवाद की कार्रवाई के दौरान अगर कोई भी पक्ष अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है, तो वह दूसरे पक्ष से गुजारा भत्ता देने की मांग कर सकता है. इस मामले में पत्नी को अपने बेरोजगार पति को गुजारा भत्ता देने का शुरुआती आदेश 13 मार्च, 2020 को कल्याण की एक अदालत ने जारी किया था. इस निर्देश को चुनौती देते हुए पत्नी ने गुजारा भत्ता देने में असमर्थता का तर्क देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

पत्नी ने कहा- मैं इस्तीफा दे चुकी हूं

दरअसल, पत्नी ने कहा है कि उसने बैंक की ब्रांच मैनेजर की पोस्ट से इस्तीफा दे दिया था, महिला ने बेरोजगार होने के अपने दावे के समर्थन में 2019 का एक त्याग पत्र दिखाया था. हालांकि निचली अदालत ने माना था कि पत्नी होम लोन का भुगतान कर रही थी और अपने नाबालिग बच्चे का खर्च भी उठा रही थी, तो वह उस सोर्स के बारे में बताए, जिससे यह खर्च पूरा किया जा रहा है. कल्याण की अदालत ने कहा था कि, बैंक से इस्तीफा देने के बाद, भी पत्नी कमा रही थी और उसके पास आय का एक स्रोत था.

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