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इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में आयोजित हुआ विधिक साक्षरता विषय पर एक दिवसीय आयोजन

⭕*इंडस पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों के साथ छत्तीसगढ़ पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने जाना कानून ।*
⭕*प्रत्येक नागरिक को कानूनों की जानकारी हो और वे शोषण और अपराध से बच सकें -श्री विक्रम प्रताप चंद्रा(एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज कोरबा)*
⭕*वर्तमान में विधि के समाजीकरण पर विशेष बल दिया जाना चाहिये, ताकि कानूनी शिक्षा अधिक उपयुक्त एवं व्यावहारिक हो सके-श्री कृष्ण कुमार सूर्यवंशी (चीफ ज्यूडिशियरी मजिस्ट्रेट)*
⭕*“ज्ञान ही शक्ति है अपने अधिकारों का जानें और आप सशक्त हों”- डॉ. संजय गुप्ता ।*
विधि शास्त्र का एक महत्वपूर्ण नियम है “इग्नोरेंस ऑफ लॉ, इज नो एक्सक्यूज”, अर्थात् विधि की भूल क्षम्य नहीं होती। लेकिन विधि की जानकारी सब तक कैसे पहुँचे? वर्तमान में यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है, जिसके उत्तर में केवल विधि साक्षरता और कानूनी शिक्षा का प्रचार-प्रसार ही हमारे सामने एकमात्र विकल्प के रूप में उपलब्ध है।
जनसाधारण तथा ग्रामीण क्षेत्रें के निवासियों को उनके सामान्य हितों के बारे में जानकारी दिलाने तथा तत्सम्बन्धी कानून का ज्ञान कराने के लिए वर्तमान में विधिक साक्षरता को विशेष महत्व दिया जाना चाहिये। इस अभियान में अधिवक्ताओं, विधि के प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं की मिली-जुली कानूनी ज्ञान प्रसारण समितियाँ गठित की जानी चाहिये जो सुदूरवर्ती ग्रामीण अंचलों में जाकर वहाँ के निवासियों को उनके दैनिक संव्यवहारों से सम्बन्धित मूलभूत कानूनों के विषय में जानकारी उपलब्ध कराए तथा उनके मामलों तथा समस्याओं को आपसी बातचीत द्वारा निपटाने का प्रयत्न करें। वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे विधिशास्त्र के सार्थक अध्ययन के प्रयोजन से विधि-पाठ्यक्रमों में समयोचित परिवर्तन किये जाने चाहिये। भारतीय विधि तथा विधि-शिक्षा मूलतः इंग्लिश-विधि पर आधारित है। यह रूढ़िवादी पद्धति बदलती हुई परिस्थितियों में अधिक प्रभावकारी सिद्ध नहीं हो पा रही है। अतः आवश्यकता इस बात की है कि विधि-पाठ्यक्रमों में आवश्यक संशोधन किये जायें, ताकि वे अधिक उपयोगी एवं प्रभावी बन सकें।
उदाहरणार्थ, हाल ही में अनेक विश्वविद्यालयों ने अपने विधि-पाठ्यक्रमों में जनसंख्या नियंत्रण, पर्यावरण विधि, विधिक-सहायता, उपभोक्ता विधि, मानवाधिकार, सहकारिता आदि सम्बन्धी कानूनों को समाविष्ट किया गया है। विधिक-साक्षरता के प्रसार एवं प्रचार के लिए तत्सम्बन्धी आवश्यक साहित्य उपलब्ध होना नितांत आवश्यक है। कानूनी साक्षरता विषयक अनेक पुस्तिकाएँ तथा पत्रिकाएँ प्रकाशित कर ग्रामीण क्षेत्रें में वितरित करके जनता में कानूनों के प्रति जागरूकता तथा रुचि उत्पन्न की जा सकती है।

दीपका इंडस पब्लिक स्कूल में विधिक साक्षरता विषय पर एक दिवसीय आयोजन किया गया । इस आयोजन में मुख्य रूप से माननीय श्री विक्रम प्रताप चंद्रा(एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज कोरबा) एवं श्री कृष्ण कुमार सूर्यवंशी (चीफ ज्यूडिशियरी मजिस्ट्रेट) मुख्य रूप से उपस्थित थे । इन विशेष आमंत्रित अतिथियों के साथ ही विद्यालय के शैक्षणिक प्रभारीद्वय श्री सव्यसाची सरकार एवं श्रीमती सोमा सरकार भी सप्राचार्य प्रमुख रूप से उपस्थित थे ।
कार्यक्रम के शुरूआत विद्यालय की परंपरा के अनुसार आगंतुक अतिथियों का स्वागत तिलक एवं बैच लगाकर किया गया तत्पश्चात माँ सरस्वती के तैल्य चित्र पर दीपक एवं पुष्पांजलि अर्पित किया गया । आगंतुक अतिथियों के सम्मान में विद्यालय की छात्राओं द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया एवं आकर्षक स्वागत नृत्य की प्रस्तुति दी गई । विद्यालय के नृत्य प्रशिक्षक श्री हरि सारथी एवं श्री राम यादव के द्वारा नयनाभिराम शिव तांडव नृत्य की ऊर्जामय प्रस्तुति दी गई।
कार्यक्रम के शुरूआत में सर्वप्रथम श्री (विक्रम प्रताप चंद्रा(एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज कोरबा) ) ने उपस्थित छात्र-छात्राओं का ज्ञानवर्धन करते हुए बताया कि अगर हमें नियम और कानून की जानकारी है तो कोई भी हमारा शोषण या गलत फायदा नहीं उठा सकता । कभी-कभी हमारी जिंदगी में ऐसी घटनाएँ घटित होती है जिन पर हम चुप्पी साध लेते हैं जो हमारी मजबुरी होती है लेकिन हमें नियम व कानून की जानकारी होगी तो हम आसानी से प्रत्येक परिस्थिति से मुकाबला कर न्याय हासिल कर सकते हैं । आज कदम-कदम पर हमें जागरूक होकर आगे बढ़ना चाहिए । आए दिन घरेलु हिंसा, मोटर दुर्घटना, प्रताड़ना इत्यादि खबरों को हम दैनिक समाचार पत्रों में पढ़ते रहते हैं लेकिन इन प्रकरणों के निराकरण में कितनी कठिनाईयाँ आवेदकों को उठानी पड़ती है शायद हमें इनका अनुमान नहीं, यदि हमें नियम और कानूनों की पूरी जानकारी होगी तो हमारा जीवन सरल हो जायेगा, हम अनुशासित हो जाएंगें ।
श्री कृष्ण कुमार सूर्यवंशी (चीफ ज्यूडिशियरी मजिस्ट्रेट) ने बच्चों की जानकारी में इजाफा करते हुए बताया कि हमें जागरूक होकर अपने अधिकारों के प्रति लड़ना कानून या नियम ही सिखाते हैं इनके अभाव में हम विवश हो जाते हैं और सतत् रूप से शोषित होते रहते हैं । राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार सुदुर ग्रामीण अंचल एवं आम लोगों तक कानून की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए विधिक साक्षरता का आयोजन किया जाता है । जिससे प्रत्येक नागरिक को कानूनों की जानकारी हो और वे शोषण और अपराध से बच सकें । गाँवों में अक्सर जमीन-जायदाद संबंधी झगड़े, घरेलु हिंसा, छेड़छाड़, टोनही प्रताड़ना, दहेज प्रताड़ना इत्यादि विवादित मुद्दों से संबंधित मामले होते रहते हैं । यदि हमें नियमों की जानकारी होगी तो सर्वप्रथम तो हम अपराध करने से बचेंगें और अपराध हो भी जायेगा तो नियम के अनुसार उसकी सजा के प्रावधानों व जुर्मानों से अवगत होंगें । हम आने वाले जीवन में अनुशासित होंगें व सम्मानित जीवन व्यतीत करेंगें ।
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि निःशुल्क विधिक सहायता लोक अदालत का आयोजन जिला, तहसील, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है जिसका एकमात्र उद्देश्य प्रत्येक भारतीय नागरिक तक नियम व कानूनों की जानकारी पहुँचाना होता है । हमें एक जागरूक नागरिक की तरह नियम व कानूनों से अवगत होकर एक संयमित जीवन व्यतीत करना चाहिए व शोषित होने से स्वयं को बचाना चाहिए । विधि साक्षरता का कार्यक्रम ठीक उस प्रकार चलाया जाना चाहिये, जिस प्रकार प्रौढ़-शिक्षा का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस योजना से कानून के विद्यार्थियो को विधि का व्यावहारित प्रशिक्षण का अवसर मिलेगा, जो वकालत के व्यवसाय में उनके लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

वर्तमान समय में विधिक शिक्षा के माध्यम से कानूनी शिक्षा को जनसाधारण तक पहुँचाने के पर्याप्त। लेकिन भारत जैसे विकासशील देश में इस दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। उचित कानून की जानकारी के अभाव में अशिक्षित वर्ग, विशेषतः ग्रामीण अंचलों के निवासी अपने छोटी-मोटी समस्याओं के लिये वकीलों के चंगुल में फँस जाते हैं। भारत जैसे गरीब देश में न्यायिक प्रक्रिया महँगी और दीर्घकालीन होने के कारण सामान्य व्यक्ति को न्याय प्राप्त करना दुर्लभ होता जा रहा है। अतः आज इस बात की आवश्यकता है कि कानूनी शिक्षा के प्रचार और प्रसार के द्वारा विधिक साक्षरता के अभियान को सार्थक बनाया जाये।

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