एंबुलेंस के इंतजार में पथराई आंखें…बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंची मां, तो थम गई थी सांस
मासूम बच्चे का शव लेकर विलाप करती मां को देख भावुक हुए खाद्यमंत्री ने दी सहायता राशि, चालक पर कार्रवाई के दिए निर्देश
अंबिकापुर। शासन की ओर से मरीजों को अस्पताल पहुंचने में होने वाली दिक्कत को दूर करने के लिए संजीवनी 108, महतारी 102 का संचालन किया जा रहा है। एक डॉयल में कम समय में वाहन की उपलब्धता सुनिश्चित हो, इसके लिए जिले के प्रत्येक ब्लॉक में इस एंबुलेंस की सुविधा दी गई है। इसके बाद भी कई बार इन वाहनों का संचालन लापरवाही पूर्वक करने जैसी शिकायतें मिलती हैं। रुपये की मांग करने जैसा मामला भी सामने आ चुका है। 108 में सूचना देने के बाद काफी विलंब से वाहन के पहुंचने जैसी शिकायतें भी अब आम हो गई हैं। लापरवाही के कारण कई बार बीमार की तबीयत बिगड़ने और मौत जैसी परिस्थिति बनने का मामला सामने आता है। ऐसा ही एक मामला पुन: सामने आया है, जिसमें संजीवनी 108 के इंतजार में तीन माह के मासूम की मौत हो गई। बच्चे की मौत से पूरा परिवार सदमे में है। इसकी जानकारी प्रदेश के खाद्यमंत्री व सीतापुर विधायक अमरजीत भगत को मिली, तो उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए एंबुलेंस के चालक के विरूद्ध आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक बतौली ब्लॉक के ग्राम बोदा निवासी अजीत लकड़ा के तीन माह के बच्चे की तबीयत खराब रहती थी, जिस कारण इलाज व देखभाल के लिए पत्नी और बच्चे को ससुराल ग्राम आदर्शनगर सीतापुर में छोड़कर अजीत परिवार के पालन-पोषण के लिए काम करने बाहर गया था। मायके में रहकर उसकी पत्नी अपने बच्चे का इलाज करा रही थी। बुधवार की दोपहर तेज बारिश के बीच बच्चे की तबीयत बिगड़ गई। सांस लेने में दिक्कत होने से बच्चा छटपटा रहा था। बच्चे की ालत देख उसकी मां ने एंबुलेंस के लिए 108 में डॉयल किया। सारी जानकारी लेने के बाद एंबुलेंस भेजने आश्वस्त किया गया लेकिन वे बच्चे को अस्पताल ले जाने के लिए बाट जोहते रह गए। बच्चे की मां का कहना है कि वह विलंब होने के कारण कई बार उक्त नंबर पर कॉल की लेकिन हर बार आश्वासन मिलते रहा। बच्चे की हालत बिगड़ती देख बेवश मां बरसते पानी से बच्चे को बचाते उसे अस्पताल लेकर जाने निकल पड़ी, यहां जांच के बाद डॉक्टर ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद मातम की स्थिति बन गई। बच्चे के लालन-पालन में लगी मां सदमे में आ गई। बच्चे का शव लेकर बिलखते वह क्षेत्र भ्रमण में आए खाद्यमंत्री व क्षेत्रीय मंत्री अमरजीत भगत को घटनाक्रम से अवगत कराई। एक मां का करूण क्रंदन सुनकर श्री भगत भी भावुक हो गए। उन्होंने सहायता राशि के रूप में 25 हजार रुपये मृत बच्चे की मां को देकर उसे घर तक भिजवाया और फोन करके एंबुलेंस 108 के किस चालक को मौके पर रवाना होना था, इसकी जानकारी लेकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। मामले को ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर अमोष किंडो ने गंभीरता से लिया है और कॉल करने के बाद कॉल सेंटर से किस चालक को मरीज को रिसीव करने कहा गया था। इसका पता लगाने व कार्रवाई की बात कही है।
*पहले भी आ चुके हैं ऐसे मामले सामने*
संजीवनी 108 का मैनेजमेंट बदलने के बाद ऐसे मामले पूर्व में सामने आ चुके हैं। पूर्व में एक चालक को बर्खास्त भी करना पड़ा है लेकिन रवैये में बदलाव नहीं आ पाया है। कभी रुपये की मांग को लेकर संजीवनी के चालक सुर्खियों में रहते हैं, तो कभी फोन करने के बाद भी घंटों एंबुलेंस के नहीं पहुंचने का मुद्दा सामने आता है। कई बार मरीज के अस्पताल पहुंचने के बाद एंबुलेंस के चालक व ईएमटी द्वारा फोन करके लोकेशन लेने जैसी बातें भी सामने आई हैं। ऐसे में आपातकालीन सेवा के लिए शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई इस सुविधा के उद्देश्य पर धीरे-धीरे ग्रहण लग रहा है।