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गरीबी का ढोंग करने वाले लखनलाल लाइन लगाकर घर में बांट रहे थे नोट, खुद निकले धन्नासेठ ,पुलिस का पड़ा छापा,देखें वीडियो

कोरबा। दूसरों को सेठ की संज्ञा और खुद को गरीब कहने वाले लखनलाल असल में धन्नासेठ निकले। इनका पाखंड पकड़ा जा चुका है। मतदान के 1 दिन पहले लखनलाल कोहड़िया स्थित अपने निवास में लाइन लगाकर लोगों को नोट बांट रहे थे। उनके घर पर मेले जैसा माहौल था। लोग ऑटो रिक्शा व बाइक में बैठ कर नोट लेने उनके घर पहुंच रहे थे। सूचना निर्वाचन आयोग तक पहुंच गई। पुलिस का छापा पड़ गया, हमारे पास दो वीडियो हैं।

पहले वीडियो में आप देखेंगे कि किस तरह से लखन लाल के घर के आसपास नोट लेने के लिए लोगों की भीड़ लगी हुई है। दूसरे वीडियो से जब पुलिस पहुंची, तब कैसे लोग तीतर बितर होकर भाग खड़े हुए, यह पता चलता है। इस पूरे घटनाक्रम में लखनलाल के ग़रीबी वाले पाखंड की पोल खुल गयी है। अब यह बात आम हो चुकी है कि लखनलाल वास्तव में “धन्नासेठ” हैं। जिन्होंने चुनाव के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिए हैं। वह नोट के बल पर वोट खरीदना चाहते हैं। अपने पार्षद भाई के साथ मिलकर उन्होंने पाखंड किया,लेकिन झूठी बातें ज्यादा देर तक टिक नहीं पाती है। सच्चाई सामने आ जाती है। इस कार्यवाही के बाद अलग-अलग चार स्थानों में नोट बांटने की व्यवस्था कर ली गई।

कत्ल की रात नहीं कत्ल का दिन बनाया :

आमतौर पर चुनाव के 1 दिन पहले वाली रात को कत्ल की रात कहा जाता है। लेकिन लखनलाल ने इस कत्ल का दिन बना दिया। दिन भर पैसे बांटते रहे। शहर के जितने ऑटो रिक्शा वाले थे। सभी व्यस्त रहे, महिलाएं ऑटो में बैठकर सीधे लखनलाल के घर पहुंच रही थीं। लखनलाल ने सभी को नोट लेने के लिए आमंत्रित किया था। लखनलाल ने दिन भर नोट के बदले वोट की राजनीति की। हालांकि शाम होते-होते पुलिस भी के घर पहुंच गई।

*पुलिस पहुंची तो भाग खड़े हुए लोग* :

कोहड़िया में लखनलाल और उनके पार्षद भाई नरेंद्र देवांगन लोगों को दिनभर नोट बांटने का काम कर रहे थे। शाम को पुलिस ने छापा मार दिया। पुलिस को आता देख लोग यहां से भाग खड़े हुए उन्हें पकड़े जाने का डर था। पुलिस ने लखन लाल के घर पर छापा मार कार्रवाई की है। कार्रवाई जारी है, खबर है कि नगदी रकम भी पकड़ में आई है। जिससे यह बात अब खुल चुकी है कि लखनलाल नोट के बदले वोट ख़रीदने के लिए चुनाव के एक दिन पहले किस तरह रसातल में उतर गए हैं और लोकतंत्र को कलंकित करने का काम कर रहे हैं। लखनलाल ने खुद को झुग्गी झोपड़ीवासी और गरीब बताया लेकिन अब वह नोट बांटने लगे हैं। आम जनता को यह भी बताना चाहिए कि इतने नोट कहां से आए?

वास्तव में यही बीजेपी का दौरा चरित्र है। लखनलाल एक तरफ गरीबों के सामने ढोंग करते हैं और दूसरी तरफ घर में करोड़ों की रकम बांटकर वोट खरीदने का काम करते हैं।

*सुबह रामदयाल और शाम को लखनलाल* :

गुरुवार की सुबह देर रात पालीतानाखार के आदिवासी उम्मीदवार खुद को गरीब बताने वाले रामदयाल उईके के वहां से पुलिस ने 11.50 लख रुपए बरामद किया। रामदयाल आधी रात को नोट बांटने पहुंचे थे। पुलिस ने रामदयाल को रंगे हाथ पकड़ लिया। अब इसी तरह लखनलाल के घर भी कोहड़िया में पुलिस ने छापा मार दिया। जो कि गरीबी का ढोंग करते फिर रहे थे। अब पुलिस ने लखनलाल की असलियत खोल दी है। भाजपाई सिर्फ कहने भर के लिए खुद को गरीब बताते हैं। वास्तव में वह किसी धन्नासेठ से काम नहीं है। लाखों, करोड़ों की रकम वह चुनाव में बांट रहे हैं। यह लोकतंत्र के लिए बेहद घातक है।

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