जोबी कॉलेज में विद्यार्थियों और प्राध्यापकों ने किया फाइलेरिया, एल्बेंडाजोल व आईडीए दवा का सेवन

रायगढ़ः- शहीद वीर नारायण सिंह शासकीय महाविद्याल जोबी-बर्रा की रेडक्रॉस इकाई और स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त प्रयास से मंगलवार को विशेषज्ञों की देखरेख में विद्यार्थियों और अधिकारी-कर्मचारियों को फाइलेरिया, एल्बेंडाजोल और आईडीए दवा की खिलाई गई। प्राचार्य रविन्द्र थवाईत के निर्देशानुसार जोबी महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक एवं रेडक्रॉस अधिकारी योगेन्द्र राठिया ने स्वास्थ्य विभाग के स्थानीय अधिकारी-कर्मचारियों में विशेष कर राम अवतार पटेल अन्य विशेषज्ञों के दल सहित इस अहम गतिविधि के लिए विद्यार्थियों को जोड़ कर स्वास्थ्य लाभ पहुंचाया।
इस दौरान सर्वप्रथम श्री राठिया द्वारा संक्षेप में राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम और आई.डी.ए. आदि दवाओं के बारे में जानकारी दी गई। बताया गया कि उक्त बीमारियां क्या होती हैं और इनसे कैसे बचा जा सकता है साथ में आज के उपचार अभ्यास को सत्यापित विज्ञान और चिकित्सा गवर्निंग बॉडीज़ द्वारा स्वीकृत बतलाया गया। इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग के श्री पटेल ने कहा कि अल्बेंडाजोल भी एक प्रमुख दवा है जो कई चिकित्सीय स्थितियों का उपचार करने में सहायक है, किन्तु एल्बेन्डाजोल या आईडीए इस तरह की दवाओं का उपयोग विशेष रूप से विशेषज्ञ चिकित्सकों के परामर्श के तहत होना चाहिए।
विद्यार्थियों को दवा सेवन कराने के दौरान फाइलेरिया के प्रमुख लक्षणों में बुखार, शरीर के भागों में सूजन, और अन्य संकेतों के बारे में बताते हुए यह भी सुनिश्चित किया गया कि वे उपयुक्त दिशा निर्देशों का पालन करें। शासन द्वारा दवा का सेवन समय-समय कराया जाता है किन्तु कभी भी किसी भी समस्या या संदेह की स्थिति में तुरंत अपने चिकित्सक की सलाह लें। उल्लेखनीय है कि जोबी महाविद्यालय का यह प्रयास विद्यार्थियों के आदर्श स्वास्थ्य के लिए उचित जागरूकता और संरक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जिसमें सहायक प्राध्यापक वी.पी. पटेल एवं एस.पी. दर्शन व अतिथी व्याख्यता राहुल राठौर, रितेश राठौर, राम नारायण जांगड़े एवं सुश्री रेवती राठिया के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
सावधानी बचाव का सर्वश्रेष्ठ तरीका
श्री राठिया ने कहा कि इस तरह की क्रीमी व अन्य संकमक बीमारियों में पेट में कीड़ों की वजह से शरीर में खून की कमी भी हो जाती है। जिससे मानसिक तौर पर एकाग्रता व स्मरण शक्ति पर विपरित प्रभाव पड़ता है। शरीर का भी स्वस्थ पूर्ण विकास बाधित होता है। उन्होंने अच्छी आदतें अपनाने जैसे कि खाने से पहले व शौच के बाद साबुन से अच्छी तरह हाथ धोना, नाखुनों को छोटा रखना, बाजार में बिकने वाली खुली वस्तुएं, कटे हुए फल ना खाना, पीने के साफ पानी का प्रयोग करना, खुले में शौच न करना को शामिल करके पेट में कीड़ों के संक्रमण से बचने के टिप्स भी दिए।