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मृत्यु से छह घंटे पहले तक किया जा सकता है नेत्रदान-डॉ. श्रीवास्तव

सरस्वती महाविद्यालय के 25 छात्र-छात्राओं ने नेत्रदान के लिए भरा शपथ पत्र

अंबिकापुर। सरस्वती महाविद्यालय सुभाषनगर व सक्षम सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में नेत्रदान पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें रामजी राजवाड़े मुख्य वक्ता सक्षम प्रांत संगठन मंत्री केंद्र रायपुर, अरविंद मिश्रा धर्म जागरण विभाग समन्वयक, ओम प्रकाश शर्मा नगर सह सेवक प्रमुख, डॉ. ओम शंकर श्रीवास्तव कॉर्निया विशेषज्ञ जिला चिकित्सालय अंबिकापुर उपस्थित रहे। स्वागत संबोधन में संस्था के प्राचार्य डॉ. बीपी तिवारी ने कहा कि मानव के जीवन में आंखों का अहम किरदार होता है। आंख शरीर का वह अंग है जो मानव जीवन को रंगीन बना देता है, जिंदगी में उजाला भर देता है। मानव संसार में हमारे बीच में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दूसरों के बारे में सोचते हैं, ऐसी ही संस्था सक्षम है, जो विकलांगों के लिए कार्य करती है।

मुख्य वक्ता रामजी ने इस मौके पर कहा कि आंख और दृष्टि का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। आंख की सभी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसके पास आंख नहीं है उसे हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। आंख ही सभी के जीवन में रोशनी लाती है, इसलिए हमें उन लोगों के बारे में सोचना चाहिए, जिसकी आंखें नहीं हैं। उन्होंने जीवनकाल में रक्तदान, जाते-जाते नेत्रदान व देहदान को श्रेष्ठ दान बताया और कहा कि यह काम आप सभी के सहयोग से किया जा सकता है, ताकि उनके शरीर का अंग किसी के जीवन का माध्यम बन सके। उन्होंने कहा कुछ लोग अंधविश्वास के कारण नेत्रदान नहीं करते हैं। इनका मानना रहता है कि अगले जन्म में नेत्रहीन ना पैदा हो जाएं। इस अंधविश्वास की वजह से दुनिया के कई नेत्रहीनों को जिंदगी भर अंधेरे में रहना पड़ता है। सभी लोगों को इस बात को समझ कर नेत्रदान अवश्य करना चाहिए, हमारा एक सही फैसला कई लोगों की जिंदगी में उजाला ला सकता है। डॉ. ओम शंकर श्रीवास्तव कॉर्निया विशेषज्ञ ने बताया नेत्रदान कब और कैसे करें। नेत्रदान में केवल कार्निया का दान और प्रत्यारोपण करना शामिल है ना की पूरी आंख का। यदि कोई व्यक्ति जीवित रहते हुए नेत्रदान करना चाहता है तो मृत्यु से छह घंटे पहले तक किया जा सकता है। आंखें तभी दान की जा सकती हैं जब डोनर को उनकी जरूरत ना हो। जब हम जीवित रहते हैं तो इन्हें स्वस्थ रखना महत्वपूर्ण है, ताकि रिसीवर हमारे बाद आंखों का अच्छी तरह से उपयोग कर सके। सभी छात्र-छात्राओं को नेत्रदान-महादान की शपथ दिलाई गई। कार्यशाला में 25 छात्र-छात्राओं ने नेत्रदान करने के लिए शपथ पत्र भरा, जिसे सक्षम की ओर से प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।

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