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सावन महीने का अधिक मास शुरू

इस बार 19 साल बाद सावन में अधिक मास आया है

आज (मंगलवार, 18 जुलाई) से सावन महीने का अधिक मास शुरू हो गया है। ये महीना 16 अगस्त तक रहेगा, इसके बाद सावन का कृष्ण पक्ष शुरू होगा। इस बार 19 साल बाद सावन में अधिक मास आया है। हिन्दी पंचांग के इस अतिरिक्त महीने की वजह से संवत्-2080 13 महीनों का है।

जानिए ये अधिक मास क्या है, क्यों आता है, अगर अधिक मास न हो तो क्या होगा और इस महीने में पूजा-पाठ से जुड़े कौन-कौन से काम किए जा सकते हैं…

अंग्रेजी कैलेंडर में लीप ईयर होता है और हिन्दी पंचांग में अधिक मास। लीप ईयर में सिर्फ एक दिन बढ़ता है, जबकि अधिक मास से हिन्दी वर्ष में पूरा एक महीना बढ़ जाता है। दरअसल, ये सौर वर्ष और चंद्र वर्ष की वजह से होता है।

पहले समझते हैं अंग्रेजी कैलेंडर में लीप ईयर किसे कहते हैं?

  • अंग्रेजी कैलेंडर पृथ्वी की सूर्य की परिक्रमा के आधार पर चलता है। एक अंग्रेजी साल में 365 दिन होते है और लीप ईयर में 366 दिन होते हैं। इसकी वजह ये है कि पृथ्वी को सूर्य की पूरी परिक्रमा लगाने में 365 दिन और करीब 6 घंटे का समय लगता है।
  • हर चार साल में ये अतिरिक्त 6 घंटे एक दिन के बराबर हो जाते हैं। इस एक दिन को कैलेंडर में एडजस्ट करने के लिए कैलेंडर में एक दिन बढ़ाया जाता है। इस कारण सामान्य साल में 365 दिन और लीप ईयर में 366 दिन होते हैं।
  • लीप ईयर मालूम करने का तरीका ये है कि जिस वर्ष को अंक 4 से विभाजित किया जा सकता है, वह लीप ईयर होता है। जैसे 2016, 2020, 2024, 2028. लीप ईयर में फरवरी 29 दिनों का होता है।अब समझिए अधिक मास किसे कहते हैं?
    • अधिक मास हिन्दी पंचांग के एक अतिरिक्त महीने को कहते हैं। ये हर तीन साल में एक बार आता है। जिस संवत् में अधिक मास होता है, वह साल 13 महीनों का होता है। ज्योतिष में नौ ग्रह हैं- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु। ये सभी ग्रह 12 राशियों का चक्कर लगाते हैं।
    • हिन्दी पंचांग में काल गणना सूर्य और चंद्र के आधार पर की जाती है। जब चंद्र 12 राशियों का एक पूरा चक्कर लगा लेता है, तब एक चंद्र माह होता है। चंद्र को 12 राशियों का चक्कर लगाने में करीब 28-29 दिन लगते हैं। इस कारण हिन्दी पंचांग का एक चंद्र वर्ष 354.36 दिन का होता है।
    • सूर्य एक राशि में 30.44 दिन रहता है। ये ग्रह 12 राशियों का एक चक्कर 30.44 x 12 = 365.28 दिन लगते हैं। इस सौर वर्ष कहते हैं। सौर वर्ष और चंद्र वर्ष में 10.92 दिन (365.28 – 354.36) का अंतर आ जाता है। इस अंतर को एडजस्ट करने के लिए पंचांग में हर 32 महीने और 14-15 दिन के बाद अधिक मास रहता है।

    कैसे तय होता है कि कौन सा महीना अधिक मास का होगा?

    ज्योतिष ग्रंथों में अधिक मास की गणना करने का बहुत ही सरल तरीका दिया गया है। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक हर 32 महीने और 15 दिन बाद अधिक मास आता है। अधिक मास कभी भी पूर्णिमा से शुरू नहीं होता। अमावस्या के बाद ही शुरू होता है। 32 महीने और 15 दिन के बाद जिस भी महीने की अमावस्या होगी, उसी महीने का अधिक मास भी होगा।

    जैसे इस साल 18 जुलाई से अधिक मास शुरू हो रहा है और 17 जुलाई को सावन मास की अमावस्या थी। ऐसे ही भाद्रपद महीने यानी 1 अगस्त से फिर 32 महीने 15 दिन की गणना शुरू होगी। जो 16 मई 2026 तक चलेगी, इस दिन ज्येष्ठ मास की अमावस्या होगी, तो 17 मई 2026 से शुरू होने वाला अधिक मास ज्येष्ठ अधिक मास होगा। इस तरह 2026 में ज्येष्ठ मास 2 मई से शुरू होकर 29 जून तक लगभग 59 दिन का होगा।

    हिन्दी पंचांग में जब सौर मास के 32 महीने पूरे होते हैं, तब तक चंद्र मास के 33 महीने हो जाते हैं। सौर वर्ष और चंद्र वर्ष में हर तीसरे साल 1 महीने का अंतर आ जाता है। इस अंतर को खत्म करने के लिए अधिक मास की व्यवस्था ऋषि-मुनियों द्वारा ने की थी।

    अगर अधिक मास न हो तो क्या होगा?

    एक चंद्र वर्ष 354 दिन और सौर वर्ष 365 दिन का होता है। इन दोनों के अंतर को खत्म करने लिए ज्योतिष में अधिक मास की व्यवस्था की गई है। हमारे तीज-त्योहार ऋतुओं के आधार पर मनाए जाते हैं।

    अगर अधिक मास की व्यवस्था नहीं होती तो सभी त्योहार और ऋतुओं के बीच का तालमेल बिगड़ जाता है। जैसे सावन बारिश के दिनों आता है, लेकिन अधिक मास न हो तो सावन कभी ठंड के दिनों में और कभी गर्मी के दिनों आता। होली गर्मी के दिनों में मनाते हैं, अगर अधिक मास न होता तो होली की ऋतु भी बदलती रहती। अधिक मास की वजह से हिन्दी पंचांग और ऋतुओं के बीच का तालमेल बना रहता है।

    अधिक मास में कौन-कौन से मांगलिक कामों के मुहूर्त नहीं होते हैं?

    अधिक मास में सूर्य की संक्रांति नहीं होती है। इस वजह से अधिक मास को मलिन (अशुभ) माना गया है। मलिन होने की वजह से इसे मलमास कहते हैं। मलमास में गृह प्रवेश, विवाह, मुंडन, यज्ञोपवीत, नामकरण जैसे मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त नहीं होते हैं। अधिक मास में विवाह तय करना, सगाई करना, कोई जमीन, मकान, भूमि खरीदने के अनुबंध किए जा सकते हैं।

    अधिक मास में कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं?

    इस महीने को भगवान विष्णु ने अपना नाम पुरुषोत्तम दिया है, इस कारण इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। अधिक मास में विष्णु जी और उनके अवतार श्रीकृष्ण, श्रीराम की पूजा खासतौर पर करनी चाहिए। इस बार सावन में ये महीना आया है तो शिव पूजा भी जरूर करें। पूजा-पाठ के अलावा इस महीने में तीर्थ दर्शन, नदी स्नान, ग्रंथों का पाठ, प्रवचन सुनना, मंत्र जप, ध्यान, दान-पुण्य आदि शुभ काम कर सकते हैं।

    वैष्णव संप्रदाय के लोग अधिक मास में कौन-कौन शुभ खासतौर पर काम करेंगे?

    वैष्णव, यानी भगवान विष्णु को आराध्य मानने वालों के लिए अधिक मास बहुत खास रहेगा। पद्म, नारद और विष्णु धर्मोत्तर पुराण में इस महीने के दौरान भगवान विष्णु के अवतारों की पूजा करने की बात कही गई है, इसलिए द्वारिका, जगन्नाथ पुरी, अयोध्या और मथुरा-वृंदावन सहित जिन जगहों पर भगवान विष्णु के मंदिर हैं वहां स्नान-दान और विशेष पूजा की जाएगी। इन तीर्थों में खासतौर दीपदान किया जाएगा। साथ ही मंदिरों में प्रसाद के तौर पर मालपुए और पान बांटे जाएंगे।

    अधिक मास में सूर्य का राशि परिर्वतन कब होगा?

    अधिक मास में सूर्य का राशि परिवर्तन नहीं होता है, यानी पूरे एक महीने तक सूर्य एक ही राशि में रहेगा। 17 जुलाई को सूर्य कर्क राशि में आ गया है और आज 18 जुलाई से अधिक मास शुरू हुआ है। 16 अगस्त तक अधिक मास रहेगा। इसके बाद 17 अगस्त को सूर्य राशि बदलकर सिंह में प्रवेश करेगा। अधिक मास को अधि मास, मलमास और पुरुषोत्तम मास कहते हैं।

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