सिर्फ सनी देओल की दहाड़ पर टिकी है गदर 2, पढ़ें फिल्म समीक्षा
: गदर सनी देओल और अमीषा पटेल की ब्लॉकबस्टर मूवी है जो 2001 में रिलीज हुई थी. फिल्म को अनिल शर्मा ने डायरेक्ट किया था. उस समय इसका मुकाबला बॉक्स ऑफिस पर लगान के साथ हुआ था, फिर भी यह बॉक्स ऑफिस की बादशाह बनी थी. अब गदर 2 रिलीज हुई है तो इसका मुकाबला ओएमजी 2 से है. गदर 2 को अनिल शर्मा ने डायरेक्ट किया है. फिल्म में सनी देओल, अमीषा पटेल, उत्कर्ष शर्मा और मनीष वाधवा लीड रोल में हैं. एक बार फिर तारा सिंह के किरदार में सनी देओल स्क्रीन पर गदर मचाते नजर आते हैं और एक बार फिर पाकिस्तान मिशन पर निकले हैं. क्या गदर 2 वैसा जादू बिखेरने में कामयाब रही है जैसा गदर ने बिखेरा था. आइए जानते हैं कैसी है सनी देओल की गदर 2.
गदर की कहानी सनी देओल, अमीषा पटेल और उनके बेटे उत्कर्ष शर्मा की है. जो शांति से अपना जीवन जी रहे हैं. लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव है. ऐसे में तारा सिंह यानी सनी देओल को किसी काम से जाना पड़ता है. फिर कुछ ऐसा होता है कि बेटे जीते यानी उत्कर्ष को भी एक मिशन पर निकलना पड़ता है. लेकिन हालात कुछ ऐसे बन जाते हैं कि सनी देओल को एक बार फिर पाकिस्तानी जनरल से टकराना पड़ता है जो एक पुरानी रंजिश पाले हुए है. इस तरह फिल्म कहानी काफी कच्ची लगती है. फिल्म की लेंथ काफी लंबी है और जिन्होंने गदर देखी होगी, वह समझ जाएंगे कि गदर 2 में ऐसे मौके बहुत ही कम हैं, जिन्हें देखकर रोंगटे खड़े हो जाएं. कुल मिलाकर अनिल शर्मा ने कहानी के मोर्चे पर कुछ भी नया करने की कोशिश नहीं की है. गदर जैसी कल्ट फिल्म के लिए गदर 2 जैसा सीक्वल थोड़ा निराश करता है.
अनिल शर्मा कहानी और डायरेक्शन दोनों ही मामले में चूक गए हैं. सीन काफी पुराने टाइप के लगते हैं. एक्शन भी बहुत ही औसत दर्जे का है. डायरेक्शन के मामले में भी अनिल शर्मा नयापन नहीं ला पाते हैं. सबसे पहली बात यह कि गदर जैसी फिल्म के सीक्वल के लिए कहानी धमाकेदार होनी चाहिए. लेकिन अनिल शर्मा यहां चूक जाते हैं. कुल मिलाकर सनी देओल ही फिल्म की यूएसपी हैं, लेकिन यहां उत्कर्ष शर्मा को एक बार फिर लॉन्च किया जा रहा है तो उनका स्क्रीनस्पेस कम हो जाता है.
गदर 2 में अगर कोई एक्टर फुलफॉर्म हैं तो वह सनी देओल हैं. वह तारा सिंह के किरदार को परदे पर उतारने के लिए हर वह काम करते हैं जो कर सकते हैं. 66 साल की उम्र में उनकी फिटनेस वाकई कमाल है. लेकिन बाकी सितारे अमीषा पटेल, उत्कर्ष शर्मा और मनीष वाधवा उनका साथ देने में कामयाब नहीं रहते हैं. कुल मिलाकर फिल्म बहुत ही एवरेज साबित होती है.
गदर 2001 में आई थी तो धमाल हो गया था. फिल्म की प्रेम कहानी, विभाजन के दौर के रोंगटे खड़े कर देने वाले सीन और तारा सिंह की पाकिस्तान में दहाड़, बेमिसाल था. लेकिन एक बार फिर तारा सिंह पाकिस्तान जाता है सब कुछ बहुत ही बनावटी और देखा हुआ सा लगता है. इस तरह सनी देओल के फैन्स को ये फिल्म जरूर पसंद आ सकती है, जिन्होंने गदर देखी हुई हैl