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हॉस्पिटल के बाद परिवार ने लिया बैगा के ईलाज का सहारा, बैगा से इलाज कराते कैंसर पीड़िता ने दम तोड़ी *शव कंधे में ढोकर ले गए स्वजन, खबर के बाद सीएमएचओ व कांग्रेस ने जारी की विज्ञप्ति

अंबिकापुर। उदयपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत पूटा अंतर्गत गोरैयाडोल ग्राम में शव को कंधे में स्वजन द्वारा लेकर जाने एवं एंबुलेंस समय पर उपलब्ध नहीं होने की इंटरनेट मीडिया में बनी सुर्खियों का मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने खंडन किया। वहीं सीएमएचओ व कांग्रेस के द्वारा जारी खबरों के प्रेस नोट उलझाने वाले हैं। सीएमएचओ ने अस्पताल ले जाते समय महिला की मौत का हवाला दिया है, वहीं जिला कांग्रेस कमेटी संचार विभाग के मीडिया सेल द्वारा जारी प्रेस नोट से प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के गृह जिले मेें मेकाहारा अस्पताल रायपुर से जवाब देने पर बैगा के द्वारा मेडिकल साइंस को चुनौती देने का परिदृश्य सामने आ रहा है। बताया गया है ब्लड कैंसर पीड़िता की मौत बैगा के यहां इलाज के दौरान हुई। मौत के बाद शव वाहन के लिए संपर्क नहीं करने एवं शव कंधे में ढोकर लाना बताया गया है।

सीएमएचओ की ओर से जनसंपर्क के माध्यम से प्रसारित कराए गए समाचार में बताया गया है कि सोशल मीडिया के माध्यमों से प्रसारित खबरों के माध्यम से इसकी जानकारी मिलते ही जांच के लिए उन्होंने खंड चिकित्सा अधिकारी उदयपुर, खंड विस्तार एवं प्रशिक्षण अधिकारी, मलेरिया तकनीकी सुपरवाइजर, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को क्षेत्र के मितानिन प्रशिक्षक से संपर्क करके विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए थे। उक्त टीम संयुक्त रूप से ग्रामीणों से मिली और जानकारी एकत्रित की। इस दौरान सामने आया कि मृतिका श्रीमती शांति प्रजापति पहले से ही ब्लड कैंसर से पीड़ित थी। मृत्यु के पूर्व वह अपनी बड़ी बहन के घर ग्राम अड़ची, पोस्ट दरिमा अंबिकापुर गई थी, यहां अचानक तबियत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल लाया जा रहा था। इस दौरान रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई। तत्पश्चात मृतिका के स्वजन स्वयं शव को गृह ग्राम गोरैयाडोल, पंचायत पुटा ले जाने का निर्णय लिए। परिवार के किसी भी सदस्य ने अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस अथवा मृत्यु के बाद शव पहुंचाने के लिए शव वाहन उपलब्धता हेतु सूचित नहीं किया। इसकी पुष्टि संबंधित पंचायत के सरपंच व स्वजन ने की है।
*कांग्रेस ने कहा-बैगा के पास रखकर करा रहे थे ईलाज*
इधर जिला कांग्रेस कमेटी, सरगुजा के संचार विभाग की बानगी कुछ और ही है। इनके द्वारा प्रेषित प्रेस नोट में उल्लेख किया गया है कि शांति देवी की मृत्यु के बाद स्वजन शव को कंधे पर ढोकर ले जा रहे थे। सामने आए वीडियो के बाद स्वास्थ्य विभाग ने उदयपुर ब्लॉक के मेडिकल ऑफिसर के माध्यम से जांच कराई, टीम ने मृतका के स्वजन से उनके निवास पहुंच कर मुलाकात की। यह स्पष्ट हुआ कि शांति देवी की मृत्यु ब्लड कैंसर बीमारी के कारण हुई है। मेकाहारा, रायपुर में उनका इलाज हो रहा था। वहां के चिकित्सक द्वारा जवाब देने पर स्वजन उन्हें वापस ले आए और स्थानीय बैगा के पास रखकर इलाज करा रहे थे, इसी दौरान शांति देवी की मौत हो गई। उनकी मृत्यु किसी अस्पताल में नहीं हुई थी, इस कारण शव को ससम्मान उनके निवास भेजने संबंधित व्यवस्था से स्वास्थ्य विभाग अनभिज्ञ था। बैगा के यहां मृत्यु के उपरांत मृतका के स्वजन शव वाहन के लिए स्वास्थ्य विभाग से संपर्क नहीं किए थे। जानकारी मिली है कि बैगा के यहां से स्वजन ऑटो रिक्शा में शव लेकर आए थे। ऑटो रिक्शा चालक ने घर तक शव ले जाने से मना कर दिया, इसके बाद वे घर तक शव को कंधे पर ढोकर ला रहे थे।

*इसलिए आवागमन अवरूद्ध होने की बनती है स्थिति*
उदयपुर विकासखंड का गोरैयाडोल ग्राम, पुटा पंचायत से चार किलोमीटर दूर है। गांव के बीच में नाला बहता है। आवागमन मार्ग बाधित होने के कारण मृतिका के स्वजन महिला के शव को कंधे पर उठाकर गांव ले गए। सीएमएचओ ने बताया है कि मृतिका के स्वजन किसी तरह की मदद हेतु स्वास्थ्य विभाग से संपर्क नहीं किए। ऐसे में एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिलने का सवाल ही नहीं उठता है।
*विकास की खोखली तस्वीर नहीं तो क्या है*
सरगुजा में कभी शव को कंधे में ढोकर ले जाने तो कभी बीमार को खाट में लिटाकर, झेलगी में बैठाकर लाने की बात कोई नई नहीं है। विकास के दावों के बीच ऐसी तस्वीरें प्रश्नचिन्ह लिए कई बार सामने आ चुकी हैं। उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री, खाद्य मंत्री के अलावा दर्जा प्राप्त केबिनेट मंत्रियों की फौज जिले में होने के बाद भी पहुंचविहीन क्षेत्रों में ग्रामीणों की दुर्गति को आइना ऐसी तस्वीरें दिखा रही हैं।

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